यहां अपराधी को सजा में नहीं होती जेल, बस लगाने होते है कुछ पौधे

देवसुन्द्रा में गलती होने पर अपराध करने पर जेल या कठोर दंड की जगह पौधे लगाने की सजा दी जाती है।

उनके अनुसार उस समय चोरी जैसे अपराध नहीं होते थे। जिससे पुलिस कभी गांव तक नहीं आई परंतु सन 1977 में मुख्तियार रामचरण साहू के निधन के पश्चात व्यवस्था पर विराम लगती गई। लेकिन आज भी इस गांव में हरे भरे वृक्षों के साथ गांव में सात्विक वातावरण बना हुआ है।

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