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अब आसमानी बिजली, सुनामी और चक्रवात से नहीं होगा मौत, 30 मिनट पहले फोन पर मिलेगी जानकारी

आसमानी बिजली, सुनामी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा का अलर्ट तीस मिनट पहले आपको मोबाइल फोन पर मिलेगा। अर्ली वार्निंग एसएमएस में यह भी लिखा होगा कि फलां इलाके के सौ किलोमीटर दायरे में चक्रवात कितनी देर में पहुंचेगा।

अब आसमानी बिजली, सुनामी और चक्रवात से नहीं होगा मौत, 30 मिनट पहले फोन पर मिलेगी जानकारी
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आसमानी बिजली, सुनामी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदा का अलर्ट तीस मिनट पहले आपको मोबाइल फोन पर मिलेगा। अर्ली वार्निंग एसएमएस में यह भी लिखा होगा कि फलां इलाके के सौ किलोमीटर दायरे में चक्रवात कितनी देर में पहुंचेगा।

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आसमानी बिजली कहां पर और कितनी देर में गिर सकती है, यह जानकारी पहले ही मिल जाएगी। सुनामी आने वाली है, यह अलर्ट भी समय रहते मोबाइल पर फ्लैश होगा।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने केंद्र सरकार, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है।

आंध्रप्रदेश, केरल और उत्तरप्रदेश में इसका ट्रायल सफल होने के बाद यह सिस्टम चालू किया जा रहा है। जल्द ही दूसरे राज्यों में भी यह सुविधा शुरू होगी। देश में हर साल औसतन 25 सौ व्यक्ति आसमानी बिजली गिरने से मारे जाते हैं।

तटीय इलाकों के साथ 15 राज्यों को लाभ

एनडीएमए के सदस्य ले. जन मरवाह (सेवानिवृत्त) का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के अलर्ट सिस्टम को लेकर गंभीरता के साथ काम हो रहा है। हमारा प्रयास है कि लोगों को समय पर प्राकृतिक आपदा का अलर्ट मिल जाए और साथ ही उन्हें वे सभी बातें भी पता चलें, जिससे कि वे आपदा में फंसने के बाद खुद का बचाव कर सकें।

देश के तटीय इलाकों के अलावा, यूपी, बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, आंधप्रदेश, केरल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित उत्तर-पूर्व के कुछ इलाकों में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरु हुआ है।

एसएमएस अलर्ट की सुविधा शुरू करने बाबत ले. जन मरवाह ने कहा, यह बहुत जरूरी था। जिला प्रशासन मुनादी या दूसरे संचार साधनों के माध्यम से ऐसी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करता था, लेकिन वह जानकारी सभी लोगों तक नहीं पहुंच पाती थी।

खासकर, खेतों में काम करने वाले लोग या समुंद्र में मछली पकड़ने वाले लोग ऐसी सूचनाओं से अनभिज्ञ रहते थे। इन्हीं कारणों से यह महसूस किया गया है कि एसएमएस अलर्ट इस मामले में सबसे ज्यादा कारगर साबित हो सकता है।

पंचायत से लेकर एसडीएम करेंगे कंफर्म

इसके अलावा जिला प्रशासन अपने स्तर पर एसडीएम, बीडीपीओ, तहसीलदार, ग्राम पंचायत और ऐसे दूसरे संगठन जो लोगों के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं, उनके व्हाट्सएप पर भी ऐसी जानकारी पहुंचाई जाएगी।

व्हाट्सएप पर लोगों को यह भी बताया जाएगा कि ऐसी आपदा की स्थिति में वे क्या करें और क्या न करें। यदि किसी व्यक्ति तक अलर्ट नहीं पहुंच पाया है तो वह अपना बचाव कैसे करे, यह सब बताया जाएगा।

इसरो और आईएमडी के सहयोग से क्षेत्रीय भाषा में मिलेगा एसएमएस

तटीय इलाकों में इसरो और आईएमडी मिलकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं, जिससे कि वहां के लोगों को उनकी भाषा में एसएमएस मिल जाए। देखने में आया है कि आईएमडी का अलर्ट जब आता है तो उससे दो-तीन दिन पहले ही मछली पकड़ने वाले लोग समुंद्र में निकल जाते हैं।

ऐसी स्थिति में उनके पास अलर्ट नहीं पहुंच पाता और वे प्राकृतिक आपदा में फंस जाते हैं। यही वजह है कि इसरो ने अब विशेष तरह के सेटेलाइट फोन तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को दिए हैं।

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वे समुंद्र में जहां भी होंगे, उस फोन पर आपदा से जुड़ी तमाम जानकारी मिल जाएगी। फिलहाल एक हजार लोगों को सेटेलाइट फोन दे दिया गया है। अब उन्हें जल्द ही अपनी लोकल भाषा में एसएमएस मिलने लगेंगे।

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