Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के शुरूआती 5 दिन रहेंगे खतरनाक, भूलकर भी न करें ये काम

Kharmas Effect on Chaitra Navratri 2024
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इस साल चैत्र नवरात्रि भी 9 अप्रैल से शुरू हो रही है, वहीं खरमास 13 अप्रैल को खत्म हो रहे है। नवरात्रि 17 अप्रैल को समाप्त होंगे, ऐसे में शुरूआती पांच नवरात्रों में खरमास का साया रहेगा।
Chaitra Navratri 2024: इस साल चैत्र नवरात्रि भी 9 अप्रैल से शुरू हो रही है, वहीं खरमास 13 अप्रैल को खत्म हो रहे है। नवरात्रि 17 अप्रैल को समाप्त होंगे, ऐसे में शुरूआती पा

Chaitra Navratri 2024: हिंदू धर्म में खरमास के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि भी 9 अप्रैल से शुरू हो रही है, वहीं खरमास 13 अप्रैल को खत्म हो रहे है। नवरात्रि 17 अप्रैल को समाप्त होंगे, ऐसे में शुरूआती पांच नवरात्रों में खरमास का साया रहेगा। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किये जा सकेंगे। लेकिन, छठे नवरात्रि से सभी शुभ कार्य, हवन, पूजन, विवाह आदि किये जा सकेंगे।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि के दिनों में अच्छे कार्य किये जाते है। लेकिन इस बार शुरुआती पांच दिन खरमास की वजह से शुभ कार्य बाधित रहेंगे। खरमास के दौरान सिर्फ पूजा-पाठ करने की अनुमति होती है। ऐसी स्तिथि में 9 अप्रैल से 13 अप्रैल तक सभी शुभ कार्य रुके रहेंगे, जिन्हें 14 अप्रैल के बाद आरम्भ किया जा सकेगा। इस बीच आपको कुछ ऐसे काम है, जो इस बार की चैत्र नवरात्रि के शुरूआती पांच दिनों में नहीं करने चाहिए। चलिए जानते है।

नवरात्रि के 5 दिन न करें ये काम

खरमास में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करें, ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है। इसके बाबजूद आप खरमास के दिनों में कोई भी शुभ कार्य करते है तो इसका आपके जीवन पर किसी न किसी तरह से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा खरमास में 16 संस्कार करने से भी बचें। साथ ही कोई जमीन-जायदाद, रत्न और आभूषण की खरीदारी भी इन दिनों में करना वर्जित होता है। खरमास के दौरान कोई नए कारोबार की शुरुआत नहीं करें। खरमास का प्रभाव होने की वजह से चैत्र नवरात्रि के शुरू के 5 दिनों तक मांगलिक कार्य नहीं करें, अन्यथा बाद में मुश्किलों से सामना हो सकता है।

खरमास में शुभ कार्य नहीं होने की वजह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य है। जब वे गुरु की राशि धनु और मीन में भ्रमण करते हैं तो इस माह को खरमास कहते है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस समय सूर्य देव गुरु देव बृहस्पति से मंत्रणा करते है और उनकी सेवा में लगे होते है। इस वजह से सूर्य देव का धरती पर प्रभाव कम रहता है। यही वजह है कि, खरमास के समय में किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते। इस समय में केवल पूजा-पाठ, जप-तप करने का ही विधान माना गया है।

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