ट्रंप की शांति योजना पर अमेरिका, यूक्रेन और यूरोपीय देशों के अधिकारियों ने जेनेवा में की बातचीत

जिनेवा में अमेरिका, यूक्रेन और यूरोप के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए ट्रंप प्रशासन द्वारा पेश किए गए मसौदा शांति प्रस्ताव पर रविवार 23 नवंबर को चर्चा की।

Updated On 2025-11-23 11:05:00 IST

(एपी सिंह ) जिनेवा में अमेरिका, यूक्रेन और यूरोप के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए ट्रंप प्रशासन द्वारा पेश किए गए मसौदा शांति प्रस्ताव पर रविवार 23 नवंबर को चर्चा की। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब रूस के पूर्ण हमले को चार साल हो चुके हैं। अमेरिका ने यूक्रेन पर दबाव बढ़ाते हुए गुरुवार तक निर्णय लेने की समयसीमा तय की है। अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और विदेश मंत्री मार्को रूबियो जिनेवा पहुंचकर युद्ध खत्म करने से जुड़ी वार्ता का नेतृत्व कर रहे हैं।

ट्रंप द्वारा समर्थित 28-सूत्रीय योजना में यूक्रेन को कुछ क्षेत्रों को छोड़ना, अपनी सैन्य क्षमता पर सीमाएं स्वीकार करना और भविष्य में नाटो में शामिल होने की महत्वाकांक्षा त्यागने जैसी कठोर शर्तें शामिल हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा वे यूक्रेन को लाभ पहुंचाने वाला अंतिम मसौदा तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय ट्रंप और जेलेंस्की की बैठक से ही तय होगा। बैठक से पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने चेतावनी दी कि यह योजना यूक्रेन की गरिमा, स्वतंत्रता और अमेरिका के समर्थन-तीनों को जोखिम में डाल सकती है।

उनका कहना था कि अगर प्रस्ताव यूक्रेन के हितों के खिलाफ गया, तो देश एक कमजोर स्थिति में आ जाएगा। दूसरी ओर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस योजना को बातचीत का एक आधार बताया है, हालांकि वह उन हिस्सों से असहमत हो सकते हैं जहां रूसी सेना को कब्जे वाले कुछ क्षेत्रों से पीछे हटने की बात कही गई है। फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, जिन्हें ई3 कहा जाता है, भी वार्ता में शामिल हुए, साथ ही यूरोपीय संघ और इटली के अधिकारी भी पहुंचे।

यूरोपीय देशों का रुख है कि अमेरिकी प्रस्ताव बातचीत का आधार तो हो सकता है, लेकिन इसमें संशोधन जरूरी हैं ताकि यूक्रेन को एक बेहतर और न्यायसंगत समाधान मिल सके। जर्मनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अमेरिका के प्रस्ताव पर आधारित एक यूरोपीय सुधारित मसौदा पहले ही यूक्रेन और अमेरिकी प्रशासन को भेजा जा चुका है। अमेरिका और यूरोप दोनों मानते हैं कि युद्ध खत्म करना जरूरी है, लेकिन सवाल यह है कि किस कीमत पर। यूक्रेन को क्षेत्र छोड़ने और नाटो छोड़ने जैसी मांगें न सिर्फ उसकी सुरक्षा कमजोर कर सकती हैं बल्कि भविष्य में रूस को और आक्रामक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकती हैं।

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