सिंधु जल संधि: पानी बंद होने से बौखलाया पाकिस्तान, भुट्टो और मुनीर के बाद शहबाज शरीफ की गीदड़भभकी
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने भारत को चेतावनी दी कि सिंधु जल संधि पर रोक लगाने की कोशिश हुई तो पाकिस्तान निर्णायक जवाब देगा। 48 घंटे में तीन पाकिस्तानी नेताओं ने भारत को धमकी दी है।
सिंधु जल रोकने से बौखलाया पाकिस्तान, भुट्टो और मुनीर के बाद शहबाज की धमकी
India Pakistan Water Dispute: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। सेना प्रमुख आसिम मुनीर और बिलावल भुट्टो के बाद अब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत को धमकी दी है। मंगलवार को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा, भारत हमसे एक बूंद पानी नहीं छीन सकता।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, सिंधु जल समझौते का जिक्र करते हुए कहा, भारत ने अगर पानी रोकने की कोशिश की तो पाकिस्तान उसे ऐसा सबक सिखाएगा कि जिंदगीभर याद रखेगा। शरीफ ने कहा, पानी हमारे लिए ‘लाइफलाइन’ है। अंतरराष्ट्रीय समझौते के उल्लंघन को किसी स्थति में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
48 घंटे में 5 नेताओं की धमकी
सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तानी नेताओं के तेवर बदले हुए हैं। पिछले 48 घंटों में पाक के तीन शीर्ष नेताओं ने भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया है। सबसे पहले पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर, पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और अब पीएम शहबाज शरीफ ने भारत को खुलेआम धमकी दी है।
बिलावल भुट्टो ने सोमवार को कहा था कि भारत ने अगर सिंधु जल संधि बहाल नहीं की तो पाकिस्तान के पास युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। दावा किया कि 6 नदियों को वापस लेने के लिए पाकिस्तानी सक्षम हैं। वहीं सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने अमेरिका से परमाणु हमले की धमकी दी है।
सिंधु जल संधि क्या है?
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने 19 सितंबर 1960 को कराची में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत सिंधु नदी प्रणाली की 6 नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज) का पानी दोनों देशों के बीच विभाजित किया गया था। पाकिस्तान को सिंधु, झेलम, चिनाब का और भारत को रावी, ब्यास, सतलुज का नियंत्रण सौंपा गया था।
भारत ने क्यों रोकी थी संधि?
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 24 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के दो दिन बाद भारत ने 65 साल पुराना सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे।
विशेषज्ञों की राय
कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु जल संधि एशिया की सबसे सफल जल-वितरण संधियों में से एक रही है, लेकिन मौजूदा तनाव इसे नए विवाद में बदल सकता है।