Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में भूकंप से अब तक 800 से ज्यादा की मौत, भारत ने भेजी राहत सामग्री
अफगानिस्तान के नंगरहार और कुनार प्रांत में रविवार (31 अगस्त) रात 6 तीव्रता का भूकंप आया। अब तक 812 लोगों की मौत और 3,000 से अधिक घायल हैं। बाढ़ और पहाड़ी इलाकों के कारण बचाव कार्य प्रभावित।
अफगानिस्तान में भूकंप से 800 से अधिक मौतें, राहत-बचाव में जुटे लोग।
Afghanistan Earthquake 2025: अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में रविवार रात भूकंप से बड़ी तबाही हुई है। नंगरहार और कुनार प्रांतों में भारतीय समयानुसार सुबह 3:17 बजे अचानक आई इस आपदा में 800 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। जबकि, 3 हजार से अधिक लोग घायल हैं। उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
अल जजीरा में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में 6 तीव्रता का भूकंप आया। 8 किमी की गहराई पर आए इस भूकंप को उथला भूकंप माना जा रहा है। उथले भूकंप प्राय: अधिक नुकसान पहुंचाते हैं, क्योंकि इनकी तीव्रता जमीन की सतह के करीब होती है।
पहले भूकंप के 20 मिनट बाद 4.5 तीव्रता का एक और झटका नंगरहार के बसावुल के उत्तर में आया। इसके बाद जलालाबाद और बसावुल के आसपास 4.3 से 5.2 तीव्रता के कई झटके दर्ज किए गए।
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र जलालाबाद से 27 किमी पूर्व-उत्तर-पूर्व में कुनार प्रांत के पास था। जलालाबाद, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 150 किमी पूर्व में है और लगभग 3 लाख लोगों का शहर है। यह पाकिस्तान की सीमा के पास होने के कारण एक महत्वपूर्ण व्यापारिक शहर है।
शहर की अधिकांश इमारतें कंक्रीट और ईंटों से बनी हैं, जबकि बाहरी इलाकों में मिट्टी और लकड़ी के मकान हैं। जलालाबाद काबुल नदी के किनारे बसा है और यहां खट्टे फल और चावल की खेती होती है।
भूकंप का प्रभाव
6 तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक है?
रिएक्टर स्केल पर 6 तीव्रता का भूकंप काफी घातक माना जाता है। इससे सामान गिर सकता है और इमारतों को नुकसान पहुंचने की आशंका होती है। अफगानिस्तान में भी काफी नुकसान हुआ है। बड़ी बड़ी बिल्डिंग धराशायी हो गई हैं। नंगरहार में बाढ़ से सड़कों और खेत बह गए।
बचाव कार्य की स्थिति
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता शराफत जमान ने बताया कि बचाव कार्य चल रहे हैं, लेकिन कई गांव पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। नंगरहार क्षेत्रीय अस्पताल में हेलीकॉप्टर से 335 घायलों को पहुंचाया गया है। रक्षा मंत्रालय ने कुनार में 30 डॉक्टर और 800 किलो दवाइयां भेजी हैं। हालांकि, शनिवार को आई बाढ़, पहाड़ी इलाकों और मलबे ने बचाव कार्य को मुश्किल बना दिया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता जताई और यूएन की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। ईरान ने भी मानवीय सहायता की पेशकश की है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने राहत, चिकित्सा और मानवीय सहायता भेजने की बात कही।
बचाव कार्य में बाधाएं
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के भूकंप विशेषज्ञ जकेरिया श्निज़ई ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बाढ़ ने सड़कें और पुल नष्ट कर दिए, जिस कारण बचाव दल प्रभावित लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे। भूस्खलन और चट्टानों के गिरने का खतरा बढ़ गया है। भोजन, पानी और दवाइयों की आपूर्ति में देरी हो रही है। खराब सड़कें, सीमित संसाधन और अर्ली-वॉर्निंग सिस्टम की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
मदद में जुटी IOM की टीमें
अफ़ग़ानिस्तान में प्रवासियों और विस्थापितों के कल्याण में काम करने वाली यूएन माईग्रेशन नामक संस्था ने अपने X हैंडल पर तबाही की तस्वीरें शेयर कर लिखा-कल रात पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में 6 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई और हज़ारों लोग घायल हो गए। कई परिवारों ने अपने घर खो दिए। उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता है। आईओएम की टीमें नुकसान का आकलन करने और प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए ज़मीनी स्तर पर मौजूद हैं।
अफगानिस्तान में भूकंप बार-बार क्यों आते हैं ?
अफगानिस्तान मध्य एशिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है। यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं। जिस कारण बार-बार भूकंप आते हैं। हाल ही में 27 अगस्त और 19 अगस्त को हिंदूकुश क्षेत्र में 5.6 और 5.2 तीव्रता के भूकंप आया था।
जून 2022 में 6 तीव्रता का भूकंप पक्तिका, पक्तिया, खोस्त और नंगरहार में आया था। इसके बाद 2023 में हेरात प्रांत में 6.3 तीव्रता के भूकंप से 2,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। चमन, हेरात, कुनार, पंजशीर, सरोबी और स्पिन घार जैसे कई फॉल्ट सिस्टम भूकंप का कारण बनते हैं।
मौजूदा हालात
जलालाबाद से कुनार जाने वाला मुख्य राजमार्ग खोल दिया गया है, लेकिन कुनार के कई रास्ते अभी भी बंद हैं। पहले उत्तरदाता मलबा हटाने में जुटे हैं। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों और स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें। अफगानिस्तान में बहु-खतरा तैयारियों की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटा जा सके।
भारत ने मदद के लिए बढ़ाए हाथ
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगान समकक्ष मावलवी अमीर खान मुत्ताकी से बात कर संवेदना जताई और सहायता का आश्वासन दिया। भारत ने काबुल में 1,000 परिवारों के लिए टेंट और कुनार के लिए 15 टन खाद्य सामग्री भेजी है। जयशंकर ने कहा कि मंगलवार को और राहत सामग्री जल्द भेजी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हरसंभव मानवीय सहायता का वादा किया। भारत इस कठिन समय में अफगानिस्तान के साथ खड़ा है।
स्रोत: Google Trends और Al Jazeera