वंदे मातरम 150 वर्ष: यूपी में आज से साल भर चलेगा ऐतिहासिक स्मरणोत्सव, CM योगी ने किया शुभारंभ

राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर, आज से पूरे उत्तर प्रदेश में वर्षभर चलने वाले स्मरणोत्सव का शुभारंभ हुआ।

Updated On 2025-11-07 09:53:00 IST

सभी शिक्षण संस्थानों में वंदे मातरम का सामूहिक वाचन और गायन अनिवार्य कर दिया गया है।

लखनऊ: राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर पूरे उत्तर प्रदेश में एक वर्षव्यापी ऐतिहासिक स्मरणोत्सव की शुरुआत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर उत्सव के उद्घाटन के तुरंत बाद, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के लोकभवन सभागार में मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत की।

सीएम योगी ने इस अवसर पर कहा कि यह गीत केवल एक रचना नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम की सामूहिक चेतना का प्रतीक है, और राज्य सरकार इसे वर्षभर जन-जन तक पहुंचाएगी। राज्य के सभी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में आज से वंदे मातरम का सामूहिक गायन शुरू हो गया है।

सीएम योगी आदित्यनाथ का संबोधन और स्वदेशी का संकल्प

लोकभवन में आयोजित भव्य समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वंदे मातरम को भारतीय अस्मिता का आधार बताया। उन्होंने कहा कि यह गीत आज़ादी के दीवानों का प्रेरणास्रोत रहा है और इसके 150 वर्ष पूरे होना हर नागरिक के लिए गर्व की बात है। उन्होंने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में स्मरणोत्सव का आयोजन चार चरणों में किया जाएगा, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और शिक्षकों को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि नई पीढ़ी को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के इस अमर गीत के महत्व, इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए।

वंदे मातरम की रचना और इसका इतिहास

राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' की रचना प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1875 को की थी और इसे उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'आनंदमठ' में प्रकाशित किया गया था। यह गीत जल्द ही देश की पहचान बन गया और ब्रिटिश राज के विरोध में एक शक्तिशाली नारा बन गया। वर्ष 1896 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया था।

स्वतंत्रता के बाद, भारत की संविधान सभा ने 1950 में इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में अंगीकार किया, जिससे इसे राष्ट्रगान 'जन गण मन' के समान ही सम्मान प्राप्त हुआ।

शिक्षण संस्थानों में वर्षभर चलेगा विशेष कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्मरणोत्सव को प्रभावी बनाने के लिए राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया दिया है। आज से वर्षभर, प्रदेश के सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों में वंदे मातरम का सामूहिक वाचन और गायन अनिवार्य कर दिया गया है।

इसके साथ ही, वंदे मातरम के इतिहास और राष्ट्रीय महत्व पर आधारित निबंध प्रतियोगिताएं, कविता पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। यह पहल न केवल विद्यार्थियों में राष्ट्र प्रेम की भावना मजबूत करेगी, बल्कि उन्हें भारतीय साहित्य और इतिहास से भी जोड़ेगी।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्मरणोत्सव

इस स्मरणोत्सव का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में किया, जहां उन्होंने इस अवसर पर स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। भारत सरकार ने निर्देश दिए हैं कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस उत्सव को एक वर्ष तक बड़े पैमाने पर मनाया जाए।

विदेश मंत्रालय के माध्यम से विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि वंदे मातरम की गूंज वैश्विक स्तर पर सुनाई दे। इस तरह, एक वर्ष तक चलने वाला यह समारोह राष्ट्रगीत की विरासत को सम्मानित करने का एक अभूतपूर्व प्रयास है।

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