सनसनीखेज खुलासा: आतंकी लिंक वाली डॉ. शाहीन के विदेश दौरों की जांच तेज, UAE में दो साल बिताने का प्रमाण!
आतंकी गतिविधियों में गिरफ्तार डॉ. शाहीन के पासपोर्ट से पता चला है कि वह दो साल (2016-2018) यूएई में रह चुकी है।
एटीएस शाहीन के पिता सईद अंसारी, भाई शोएब और उसके पड़ोसियों से दोबारा पूछताछ की जाएगी।
लखनऊ डेस्क : आतंकी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार डॉ. शाहीन अब जांच एजेंसियों के निशाने पर है। पासपोर्ट की छानबीन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि शाहीन ने 2016 से 2018 के बीच दो साल यूएई (UAE) में बिताए थे। खुफिया सूत्रों का मानना है कि विदेश दौरे पर शाहीन आतंकी संगठनों से मिली थी और उसे जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट का काम सौंपा गया था। उसके तुर्किए कनेक्शन और लखनऊ में दो महीने रहने की बात सामने आने के बाद जांच का दायरा बढ़ गया है।
संदिग्ध विदेश यात्राओं और अयोध्या कनेक्शन की जांच
जांच एजेंसियों को डॉ. शाहीन के पासपोर्ट की छानबीन में कई अहम सुराग मिले हैं, जो उसकी संदिग्ध गतिविधियों की ओर इशारा करते हैं। शाहीन ने पिछले 10 साल में किन-किन शहरों का दौरा किया था, इसकी गहन छानबीन की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उसकी यात्राओं का उद्देश्य केवल पर्यटन था या इसके पीछे कोई गहरी साजिश थी।
लखनऊ में अचानक दो महीने रहने की बात सामने आने के बाद जांच अधिकारियों के मन में कई सवाल खड़े हो गए हैं।
जांच एजेंसियां डा. शाहीन के अयोध्या दौरे की दिशा में भी छानबीन कर रही हैं। यह पता लगाया जा रहा है कि क्या अयोध्या यात्रा का कोई विशेष मकसद था और इस दौरान वह किन लोगों से मिली। शाहीन के पूर्व पति डॉ. जफर हयात ने पूछताछ के दौरान बताया था कि वह अक्सर यूरोप में बसने की बात कहती थी और उसके विदेश जाने की पुष्टि भी की थी।
इसी आधार पर खुफिया एजेंसियां शाहीन के सभी विदेश दौरों की पड़ताल कर रही हैं। इस पड़ताल में एक महत्वपूर्ण जानकारी यह सामने आई है कि शाहीन का आतंकी मित्र डॉ. मुज्जमिल का तुर्किए से गहरा कनेक्शन है।
इस तुर्किए कनेक्शन के खुलासे के बाद से शाहीन के कई अन्य देशों की यात्राएं भी अब जांच के घेरे में आ गई हैं, जिससे उसके अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क से जुड़े होने का संदेह मजबूत होता है।
विदेश में आतंकी संगठनों से मुलाकात और लॉजिस्टिक सपोर्ट का शक
जांच एजेंसियों का अनुमान है कि डॉ. शाहीन के विदेश दौरे सामान्य यात्राए नहीं थीं। आशंका है कि इन यात्राओं के दौरान उसकी मुलाकातें प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के प्रमुख सदस्यों या उनके गुर्गों से हुई थीं।
यह भी संदेह है कि विदेश में ही शाहीन को एक विशेष मिशन सौंपा गया था आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराने का काम। लॉजिस्टिक सपोर्ट में धन की व्यवस्था, सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध कराना, और महत्वपूर्ण सूचनाओं का आदान-प्रदान शामिल हो सकता है।
इस मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों के संबंध पहले ही कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से सामने आ चुके हैं।
इसी कड़ी में, एटीएस अब डॉ. शाहीन के सीधे जैश कनेक्शन के बारे में पुख्ता जानकारी जुटाने में लगी हुई है। जांच एजेंसियां इस बात पर ज़ोर दे रही हैं कि शाहीन केवल एक प्यादा थी या संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार के रूप में काम कर रही थी।
विदेश में मिली ट्रेनिंग और सौंपे गए काम की गंभीरता को देखते हुए, एजेंसिया मानती हैं कि शाहीन की भूमिका गंभीर हो सकती है।
यूएई में दो साल बिताने और जैश विंग की ट्रेनिंग का प्रमाण
जांच एजेंसियों को डॉ. शाहीन के पासपोर्ट की छानबीन में जो सबसे अहम सुराग मिला है, वह है वर्ष 2016 से 2018 के बीच यूएई में बिताए उसके दो साल। यह प्रमाणित हुआ है कि शाहीन इस अवधि के दौरान यूएई में रहकर नौकरी करती थी, लेकिन इस दौरान वह किन-किन संदिग्ध लोगों के संपर्क में रही, इसकी विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।
यह माना जा रहा है कि यूएई में ही शाहीन को जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग जिसे जमात उल मोमिनात कहा जाता है को तैयार करने की विशेष ट्रेनिंग दी गई थी। यूएई में बिताया गया यह समय अब इस पूरे मामले की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बन गया है और जांच टीमें इस दौरान उसके सभी संपर्कों और गतिविधियों की गहन समीक्षा कर रही हैं।
करीबियों से फिर होगी पूछताछ, कॉल डिटेल्स से मिले अहम सुराग
डॉ. शाहीन के लखनऊ में दो महीने बिताने की बात सामने आने के बाद, एटीएस अब इस बात का पता लगा रही है कि इस दौरान वह किन-किन लोगों के संपर्क में थी और उसकी मदद किसने की थी। इस कड़ी में, एटीएस शाहीन के पिता सईद अंसारी, भाई शोएब और उसके पड़ोसियों से दोबारा पूछताछ करेगी।
जांच शाहीन के डिजिटल फुटप्रिंट पर भी दे रही है। वह फोन पर किन लोगों के संपर्क में थी, इसके बारे में पता लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि शाहीन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड से एटीएस को पहले ही कुछ अहम सुराग मिल चुके हैं। ये सुराग संदिग्ध संपर्कों की एक श्रृंखला की ओर इशारा करते हैं, जिनके आधार पर अब नए सिरे से पूछताछ की प्रक्रिया शुरू होगी।
एटीएस को उम्मीद है कि इन कॉल डिटेल्स के माध्यम से वह न केवल शाहीन के नेटवर्क का खुलासा कर पाएगी, बल्कि देश के भीतर मौजूद उन स्लीपर सेल्स और गुर्गों तक भी पहुंच पाएगी जिन्हें वह लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रही थी।