देश की सुरक्षा से खिलवाड़: फर्जी वेबसाइटों से रोहिंग्या और घुसपैठियों के बनाए जा रहे थे फर्जी आधार कार्ड, STF ने किया बड़ा भंडाफोड़
उत्तर प्रदेश की STF ने अलीगढ़ में सरकारी पोर्टलों को हैक कर रोहिंग्या और विदेशी घुसपैठियों के फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है।
गिरोह एक फर्जी आधार कार्ड बनाने के लिए 2,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक वसूलता था।
अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एसटीएफ ने एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है जो अवैध रूप से फर्जी आधार कार्ड और अन्य भारतीय पहचान पत्र बनाने में शामिल था।
एसटीएफ ने क्वार्सी के जीवनगढ़ इलाके में संचालित जनसेवा केंद्रों पर छापा मारकर इस गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया है। बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से पता चला है कि इस गिरोह ने केवल भारतीय नागरिकों के ही नहीं, बल्कि रोहिंग्या और अन्य विदेशी घुसपैठियों के भी फर्जी आधार कार्ड और प्रमाण पत्र बनाए थे, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
फर्जी आधार बनाने का तकनीकी तरीका और इंटरस्टेट नेटवर्क का खुलासा
एसटीएफ की विस्तृत पूछताछ में फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले इस गिरोह के बेहद संगठित और तकनीकी संचालन के तरीके का खुलासा हुआ है। मुख्य आरोपी साजिद हुसैन ने बताया कि वह गुजरात, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के अधिकृत आधार ऑपरेटरों जैसे प्रशांत, नोमान, मुजीबुर और अमीन से संपर्क स्थापित करता था। इन ऑपरेटरों से ही साजिद ने असली आधार सॉफ्टवेयर (ECMP/AEC) का रिमोट एक्सेस हासिल किया था।
साजिद अपनी प्रक्रिया में पहले https://domicile.xyz/admin जैसे पोर्टलों के माध्यम से फर्जी प्रमाण पत्र (निवास प्रमाण पत्र आदि) तैयार करता था, जिसके लिए वह प्रति प्रमाण पत्र 50 से 100 रुपये का ऑनलाइन भुगतान करता था और ग्राहकों से 500 से 1000 रुपये वसूलता था। इसके बाद, वह 'एनीडेस्क' जैसे ऐप का उपयोग करके दिल्ली निवासी आकाश को अपने सिस्टम का रिमोट एक्सेस देता था।
आकाश, जो वास्तविक आधार सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने में सक्षम था, इसी रिमोट एक्सेस के जरिए फर्जी आधार कार्ड बनाता था।
गिरफ्तार आरोपी नईमुद्दीन ने पूछताछ में एक और वेबसाइट https://dccrorgi.co.in/admin का भी उल्लेख किया, जिसका उपयोग वह फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करने के लिए करता था, जिसके बाद वह adhar enrolment client/ecmp.cmd सॉफ्टवेयर के माध्यम से फर्जी आधार बनाने का काम करता था। इन सभी फर्जी प्रमाण पत्रों के लिए, आरोपी ग्राम प्रधान और राजपत्रित अधिकारी की फर्जी मुहरों का इस्तेमाल करते थे। इस खतरनाक नेटवर्क को बनाए रखने के एवज में वे अधिकृत ऑपरेटरों को हर महीने 50,000 रुपए तक का भुगतान करते थे।
रोहिंग्या और अवैध प्रवासियों से सीधा कनेक्शन
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और बरामद डेटा की फोरेंसिक जांच में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि उनके मुख्य ग्राहक बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अन्य विदेशी नागरिक थे जिनके पास भारत में रहने का कोई वैध दस्तावेज नहीं था। सूत्रों के अनुसार, गिरोह एक फर्जी आधार कार्ड बनाने के लिए 2,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक की मोटी रकम वसूलता था।
इन फर्जी आधार कार्डों का उपयोग बाद में ये अवैध प्रवासी पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए करते थे, जो सीधे तौर पर देश की सुरक्षा और संसाधनों को प्रभावित करता है। इस गिरोह के तार पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, झारखंड, दिल्ली-एनसीआर और महाराष्ट्र जैसे कम से कम नौ राज्यों में फैले हुए थे।
फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का व्यापक नेटवर्क और आगे की कार्रवाई
फर्जी आधार कार्ड बनाने के लिए, गिरोह पहले फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, शपथ पत्र, निवास प्रमाण पत्र और लेखपाल व अन्य सरकारी अधिकारियों की नकली मुहरें तैयार करता था। STF ने इस कार्रवाई में चार लैपटॉप, फिंगरप्रिंट स्कैनर, आईरिस-स्कैन उपकरण और बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं।
बरामद किए गए कंप्यूटर सिस्टमों को साइबर लैब में फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है ताकि पिछले तीन सालों के डेटा का विश्लेषण किया जा सके और यह पता लगाया जा सके कि गिरोह ने कितने फर्जी आधार कार्ड बनाए हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस की धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340(2), 342, 111 और आईटी एक्ट की धारा 66C, 66D, 73 और 74 में मामला दर्ज किया गया है।
एसटीएफ अब गिरोह के फरार सरगना और अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए गहन छापेमारी कर रही है। पुलिस के छापेमारी में 88 फर्जी आधार कार्ड, 2 फिंगरप्रिंट स्कैनर, 3 आईरिस स्कैनर, 5 फर्जी मोहरें, 4 लैपटॉप, 1 डेस्कटॉप, 3 प्रिंटर, मोबाइल फोन, की-बोर्ड, माउस और 2300 नकद रुपए बरामद हुए हैं हैं।