ओबीसी आरक्षण : 27% रिजर्वेशन के अपने ही कानून को नहीं मानती MP सरकार; हाईकोर्ट ने उठाए सवाल 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का अपना ही कानून न मानने पर सवाल उठाए हैं। कहा, संवैधानिकता पर आदेश आने तक कानून की अनदेखी नहीं की जा सकती।

Updated On 2024-12-05 12:46:00 IST
ओबीसी आरक्षण : 27% रिजर्वेशन के अपने ही कानून को नहीं मानती MP सरकार, हाईकोर्ट ने उठाए सवाल

OBC Reservation : मध्य प्रदेश में होने वाली सरकारी भर्तियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अभ्यर्थियों को 27 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता। बुधवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पूछा-सरकार आखिरकार ओबीसी आरक्षण पर अपना ही कानून क्यों नहीं मानती? वकील ने लंबित याचिकाओं का हवाला देकर सरकार का बचाव किया, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी कानून की संवैधानिकता पर जब तक फैसला नहीं आता, उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। 

मध्य प्रदेश में विभिन्न विभागों में हुई भतियों में 13 फीसदी पद होल्ड कर दिए गए हैं। इसे लेकर ओबीसी और EWS अभ्यर्थियों ने 300 से ज्यादा याचिकाएं दायर की हैं। कोर्ट ने बुधवार को इन्हीं याचिओं पर सुनवाई करते हुए ओबीसी रिजर्वेशन पर टिप्पणी की है। 

सरकारी नौकरी में नहीं मिलता 27% आरक्षण 
सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर ने जबलपुर हाईकोर्ट में अपना तर्क दिया। कहा, 27% ओबीसी आरक्षण के कानून पर कोई रोक नहीं है, लेकिन सरकार की विभिन्न भर्तियों में ओबीसी अभ्यर्थियों को 27% ओबीसी आरक्षण नहीं मिलता। 13 फीसदी पद होल्ड कर दिए जाते हैं। 

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महाधिवक्ता ने रखा सरकार का पक्ष 
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने मामले में सरकार पक्ष रखा। कहा, कोर्ट में ओबीसी आरक्षण के कानून को चुनौती दी गई है। जिस कारण उसे लागू नहीं किया जा सका। हाईकोर्ट ने इस पर कहा, किसी कानून की संवैधानिकता जब तक निर्णित नहीं हो जाती, उसे होल्ड नहीं किया जा सकता। 

हजारों युवाओं के भविष्य पर संकट
अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा, सरकार जानबूझकर इस कानून को टाल रही है। इसके लिए वह बार-बार सुनवाई की तारीख बढ़वाने का प्रयास करती है। ओबीसी आरक्षण से जुड़े मामले सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किए गए हैं। इससे हजारों चयनित अभ्यर्थी भविष्य को लेकर चिंतित हैं। 

 

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