AIIMS Bhopal Eye Donation: एम्स भोपाल में नेत्रदान, झाड़बड़े परिवार के परोपकार से रोशन होंगी दो लोगों की आंखें

AIIMS Bhopal Eye Donation: भोपाल एम्स की नेत्र विशेषज्ञ डॉ भावना शर्मा ने नेत्रदान का महत्व समझाया। कहा, आंख के ऊपर गुंबद के आकार की सतह को कॉर्निया कहते हैं, जो पढ़ने या देखने में मदद करती है। नेत्रदान के बाद यही कॉर्निया दूसरे को लगाते हैं।  

Updated On 2024-06-30 14:11:00 IST
एम्स भोपाल।

AIIMS Bhopal Eye Donation: ऑल इंडिया आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के नेत्र विभाग में गुरुवार 29 जून को कॉर्नियल रिट्रीवल के लिए दो नेत्रदान प्राप्त हुए। मंडीदीप निवासी आयुष झाड़बड़े ने मानवता का परिचय देते हुए दिवंगत पिता गणेश झाड़बड़े की कॉर्निया दान की। 42 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। 

कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ) अजय सिंह ने बताया कि झाड़बड़े परिवार के इस परोपकार से दो लोगों की जिंदगी पुन: रोशन सकेगी। वह अपनी आंखों से दुनिया को एक बार फिर निहार सकेंगे। उनके जीवन में गुणात्मक सुधार होगा। 

डॉ. अजय सिंह ने परिवार का आभार जताते हुए कहा, नेत्रदान दृष्टिहीन लोगों के लिए आशा और प्रकाश की किरण हैं। एम्स भोपाल का नेत्र विभाग इस कार्यक्रम के जरिए अधिक से अधिक लोगों की वापस ला कर उनके जीवन में क्रन्तिकारी बदलाव लाने के लिए प्रयासरत है। 

नेत्र विभाग की प्रमुख डॉ भावना शर्मा ने बताया कि कॉर्निया आंख के ऊपर गुंबद के आकार की सतह होती है, जो पढ़ने या देखने में फोकस करने में आंख को मदद करती है।  
 
निधन के बाद निकालते हैं कॉर्निया

डॉ भावना शर्मा ने बताया कि कोई व्यक्ति मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करता है तो उसकी आंखों से कॉर्निया निकाल कर किसी ऐसे व्यक्ति की आंखों में  लगा दी जाती है, जिसका कॉर्निया खराब हो गया है। जिससे वह फिर अपनी आंखों से दुनिया देख पता है। 

कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी 
डॉ भावना शर्मा ने बताया कि किसी की आंख का कॉर्निया खराब हो जाता है और जब उसे दवा से ठीक न किया जा सके। ऐसी स्थिति में डॉक्टर कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी की सलाह देते हैं। एम्स भोपाल 5 साल से कॉर्नियल रिट्रीवल कर रहा है।

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