प्रमोशन में आरक्षण संकट: सरकार की नई नीति पर रोक, हाईकोर्ट ने एक सप्ताह में मांगा जवाब; जानें क्या है पूरा विवाद?
मध्यप्रदेश की नई प्रमोशन नीति पर जबलपुर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई। सपाक्स संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा। अगली सुनवाई 15 जुलाई को। जानिए पूरी खबर।
प्रमोशन में आरक्षण: सरकार की नई पॉलिसी पर हाईकोर्ट की रोक, एक सप्ताह में मांगा जवाब; जानें पूरा विवाद?
Promotion Reservation Dispute MP: मध्यप्रदेश में सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण का विवाद फिर गहरा सकता है। राज्य सरकार ने हाल ही में नई प्रमोशन नीति को मंजूरी दी है, लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि अगली सुनवाई तक प्रमोशन में आरक्षण लागू न करें।
जबलपुर हाईकोर्ट ने यह आदेश सपाक्स संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की है। साथ ही राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है।
याचिका में क्या कहा गया?
सपाक्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि प्रमोशन में आरक्षण विवाद सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नई पॉलिसी लागू करना गैरकानूनी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी कर जल्दबाजी में नीति लागू की।
नई प्रमोशन पॉलिसी क्या है?
मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने 9 साल बाद प्रमोशन में आरक्षण लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए नई प्रमोशन पॉलिसी बनाई है, लेकिन सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारी संगठन विरोध पर उतर आए। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इसमें अंतरिम रोक लगा दी।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
जबलपुर हाईकोर्ट ने नई प्रमोशन नीति पर अंतरिम रोक लगाते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती और याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, प्रमोशन में आरक्षण लागू न किया जाए। उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी कर एक सप्ताह में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
कर्मचारियों में असमंजस, 15 को स्पष्ट होगी स्थिति
कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश के लाखों कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति बन गई है। सरकार की नई पॉलिसी ने आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों में एक उम्मीद जगाई थी, लेकिन गैर-आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों में विरोध के स्वर तेज हो गए। अब दोनों पक्ष की निगाहें 15 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर है। इसी में तय होगा कि प्रमोशन में आरक्षण की नई नीति लागू होगी या नहीं।
क्या है प्रमोशन में आरक्षण विवाद ?
मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर कर्मचारी दो मत हैं। एससी-एसटी के कर्मचारियों का मानना है कि अब भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इसलिए प्रमोशन में आरक्षण उन्हें मिलना चाहिए। जबकि, अन्य वर्ग के कर्मचारी इस संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि नौकरी में आरक्षण तो समझ आता है, लेकिन प्रमोशन में आरक्षण की जरूरत नहीं है। पिछले 9 साल से मामले में न्यायिक लड़ाई चल रही है।