खाद का खेल: प्राइवेट दुकानदारों ने बढ़ाया संकट, कालाबाजारी से किसान परेशान
रबी सीजन में भोपाल सहित कई जिलों में यूरिया और डीएपी की कमी से किसान परेशान हैं। प्राइवेट दुकानदारों की कालाबाजारी से बढ़ी किल्लत पर प्रशासन सख्त।
खाद की कालाबाजारी! प्राइवेट दुकानदारों ने बढ़ाया संकट, किसान परेशान (Image- AI)
(वाहिद खान की रिपोर्ट) भोपाल। रबी सीजन की बुआई जोरों पर है, लेकिन राजधानी में यूरिया, डीएपी और एनपीके खाद की भारी मारामारी बनी हुई है। किसान लंबी कतारों में लगकर खाद के लिए परेशान हैं, जबकि अधिकारियों का दावा है कि 90 फीसदी किसानों को खाद बांट दी गई है। फिर भी कमी क्यों? असल खेल प्राइवेट दुकानदारों का है, जो स्टॉक बढ़ाकर कालाबाजारी कर रहे हैं। इससे किसानों को मजबूरन अधिक दाम चुकाने पड़ रहे हैं।
राजधानी में रबी फसल के लिए कुल 22 हजार मिट्रिक टन यूरिया, 8 हजार मिट्रिक टन डीएपी और 3 हजार मिट्रिक टन एनपीके खाद की आवश्यकता होती है। डिप्टी डायरेक्टर कृषि सुमन प्रसाद बताते हैं कि जिले के लगभग 50 हजार किसानों को 20 हजार मिट्रिक टन यूरिया, 6 हजार मिट्रिक टन डीएपी और 3 हजार मिट्रिक टन एनपीके बांट चुके हैं। सहकारी संस्थाओं, 5 सरकारी काउंटरों और प्राइवेट दुकानों पर स्टॉक पर्याप्त है। रोजाना 500 मिट्रिक टन (5 हजार क्विंटल) खाद बिक रही है। फिर भी लाइनें क्यों लग रही हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि प्राइवेट कारोबारी जानबूझकर स्टॉक छिपा रहे हैं। वे खाद को ऊंचे दाम पर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। आसपास के जिलों से किसान भोपाल आ रहे हैं, जिससे मांग बढ़ गई है। कुछ किसान भी जरूरत से ज्यादा स्टॉक कर लेते हैं, डर से कि बाद में न मिले। इससे वास्तविक कमी नहीं, बल्कि कृत्रिम संकट पैदा हो रहा है। सरकारी काउंटरों पर खाद सस्ती है, लेकिन वहां भीड़ के कारण किसान प्राइवेट दुकानों की शरण लेते हैं, जहां दाम MRP से 50-100 रुपये ज्यादा वसूले जा रहे हैं।
किसान संघों ने आरोप लगाया कि कालाबाजारी रोकने के लिए प्रशासन सख्ती नहीं कर रहा। कई दुकानों पर छापे मारने की मांग की जा रही है। डिप्टी डायरेक्टर ने आश्वासन दिया कि स्टॉक की नियमित जांच हो रही है और किसानों को प्राइवेट दुकानों से महंगा खाद न खरीदने की सलाह दी। सभी जगह यूरिया-डीएपी उपलब्ध है। फिर भी ग्रामीण इलाकों से शिकायतें आ रही हैं कि रातोंरात स्टॉक गायब हो जाता है।
यह समस्या सिर्फ भोपाल तक सीमित नहीं। मध्यप्रदेश के कई जिलों में खाद संकट गहरा रहा है। केंद्र सरकार ने अतिरिक्त आपूर्ति का वादा किया है, लेकिन जमीन पर हालात नहीं सुधर रहे। किसानों का कहना है कि अगर कालाबाजारी नहीं रोकी गई, तो फसल प्रभावित होगी और उत्पादन घटेगा।
प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए: दुकानों पर सघन निगरानी, स्टॉक रजिस्टर चेक और दोषियों पर जुर्माना।संक्षेप में, 90% वितरण के बावजूद मारामारी कालाबाजारी की देन है। किसानों को जागरूक रहना होगा और सरकारी चैनलों का उपयोग करना चाहिए। उम्मीद है, जल्द ही यह संकट दूर होगा।