रूस-यूक्रेन युद्ध: हरियाणा समेत कई प्रदेशों के युवाओं को रूसी सेना ने जंग में धकेला, जंतर-मंतर पर हंगामा

हिसार के सोनू और कैथल के कर्मचंद की तो युद्ध में मौत भी हो चुकी है। अब अपने बच्चों को सुरक्षित वापस लाने की मांग को लेकर 27 परिवारों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

Updated On 2025-11-03 16:25:00 IST

रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे युवकों की लिस्ट दिखाते सामाजिक कार्यकर्ता जयभगवान। 

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब भारतीय परिवारों के लिए एक बड़ा मानवीय संकट बन गया है। बेहतर भविष्य और नौकरी के लालच में रूस भेजे गए हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और अन्य राज्यों के कई युवाओं को धोखे से रूसी सेना में भर्ती कराकर यूक्रेन के युद्ध मोर्चे पर धकेल दिया गया है। इस दर्दनाक घटना के बाद, अपने बच्चों की सुरक्षित वापसी की मांग को लेकर प्रभावित परिवारों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

स्टडी वीजा का झांसा देकर थमाए हथियार

यह पूरा मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय एजेंटों की जालसाजी का परिणाम है। हरियाणा के 6 युवक (फतेहाबाद, कैथल, हिसार, रोहतक और जींद से) समेत देश के कई राज्यों के युवा इस जाल में फंस गए।

• फतेहाबाद के अंकित जांगड़ा और विजय पूनिया को जबरन रूसी आर्मी में भर्ती किया गया। अंकित के भाई रघुवीर ने बताया कि कर्ज लेकर उन्हें लैंग्वेज कोर्स के लिए रूस भेजा गया, लेकिन वहां उन्हें युद्ध की ट्रेनिंग दी गई। विजय को एक रूसी महिला ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी का झांसा देकर सेना में शामिल करा दिया।

• ट्रेनिंग और मोर्चा : इन युवकों को केवल 10 दिन की ट्रेनिंग दी गई और फिर यूक्रेन में बंकरों में भेज दिया गया। अंकित और विजय का डेढ़ महीने से परिवार से कोई संपर्क नहीं हो पाया है।

• रोहतक के संदीप के पिता बख्शी राम का आरोप है कि उन्हें कुक की नौकरी का लालच दिया गया था, लेकिन एजेंटों ने उन्हें सेना में भर्ती करा दिया। संदीप ने वीडियो भेजकर बताया था कि उनकी जान को खतरा है और उन्हें बंकर में रखा जाता है।

• हिसार के अमन की मां सुमन का भी यही आरोप है कि वैध वीजा पर गया उनका बेटा धोखे से युद्ध क्षेत्र में फंसा हुआ है।

दो युवकों की मौत से गहरा सदमा

इस संकट की सबसे दर्दनाक सच्चाई दो युवकों की मौत की पुष्टि से सामने आई। हिसार का सोनू मई 2024 में फॉरेन लैंग्वेज कोर्स करने गया था। उसे जबरन आर्मी में भर्ती किया गया और 6 अक्टूबर को रूसी सेना के अधिकारी ने पत्र भेजकर जानकारी दी कि सोनू की यूक्रेन में ड्रोन हमले के कारण मौत हो चुकी है। वहीं कैथल का कर्मचंद को जर्मनी जाने के धोखे में रूस भेजा गया था। उन्हें सेना में भर्ती कर मोर्चे पर भेजा गया, जहां 6 सितंबर को बम गिरने से उनकी मौत हो गई। उनका पार्थिव शरीर डेढ़ महीने बाद 17 अक्टूबर को भारत लौट पाया था।

जंतर-मंतर पर 27 परिवारों का प्रदर्शन

अपने फंसे हुए बच्चों को वापस लाने के लिए, इन युवकों के परिवार अब एक मंच पर आ गए हैं। रोहतक के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कई राज्यों के परिवारों को मिलाकर एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप में हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे राज्यों के 27 परिवार शामिल हैं।

ये सभी परिवार दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि उनकी आवाज राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे। परिवारों का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार पर दबाव बनाना है ताकि विदेश राज्य मंत्री के माध्यम से रूसी और भारतीय सरकारों के बीच समन्वय स्थापित हो सके। परिवारों की एकमात्र और मार्मिक मांग यही है कि धोखे से युद्ध में धकेले गए उनके बच्चों को जल्द से जल्द सुरक्षित भारत लाया जाए। 


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