हिसार HAU में छात्र-पुलिस टकराव: कूलर लगाने पर लाठीचार्ज, 4 छात्र घायल, तिरंगा लेकर सड़क पर उतरे

पुलिस का दावा है कि छात्रों ने बिना अनुमति के टेंट और कूलर लगाए थे और वे लंबे समय तक धरना देना चाहते थे, जिससे आवाजाही में बाधा आ रही थी। दूसरी ओर छात्रों का आरोप है कि बेवजह उन पर लाठीचार्ज किया गया।

Updated On 2025-08-22 13:12:00 IST

हिसार में पुलिस और छात्र आमने सामने। 

हरियाणा के हिसार में स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार अकादमिक उपलब्धियों के कारण नहीं, बल्कि छात्रों और पुलिस के बीच हुए बड़े टकराव के कारण। यह घटना गुरुवार रात करीब 9 बजे हुई, जब छात्रों ने धरना स्थल पर कूलर लगाने की कोशिश की। इस पूरी घटना की शुरुआत छात्रों के 20 अगस्त से शुरू हुए धरने से हुई। छात्र अपनी पांच मांगों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। गुरुवार को छह छात्र भूख हड़ताल पर भी बैठ गए थे, लेकिन रात में स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई जब छात्रों ने गर्मी और मच्छरों से बचने के लिए कूलर लगाना चाहा। पुलिस ने इसका विरोध किया। इस पर छात्र गुस्सा हो गए।

मच्छरों और गर्मी से राहत पाने को लगा रहे थे कूलर

रात करीब 9 बजे, जब छात्र धरना स्थल पर कूलर लेकर पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। छात्रों ने बताया कि वे सिर्फ मच्छरों से बचने और गर्मी से राहत पाने के लिए कूलर लगा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनकी बात नहीं मानी। देखते ही देखते बहस बढ़ गई और आरोप है कि पुलिस ने जबरन उनके कूलर छीन लिए, जिससे एक कूलर टूट भी गया। इसके बाद पुलिस ने छात्रों को धरना स्थल से हटाने के लिए बल प्रयोग शुरू कर दिया।

पुलिस के इस कदम से छात्रों को गंभीर चोटें आईं। कई छात्रों को सामान्य अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में छात्र अपनी पीठ और पेट पर डंडों के निशान दिखा रहे हैं। इन तस्वीरों ने न सिर्फ छात्रों के बीच बल्कि पूरे प्रदेश में आक्रोश पैदा कर दिया है।

छात्रों का गुस्सा, सड़क जाम की

पुलिस की कार्रवाई के बाद गुस्साए छात्र हाथों में तिरंगा लेकर राजगढ़ रोड पर आ गए और कुछ देर के लिए सड़क जाम कर दी। उन्होंने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और आरोप लगाया कि पुलिस ने बेवजह उन पर बल प्रयोग किया है। छात्रों का कहना है कि वे सिर्फ अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस का यह व्यवहार पूरी तरह से अनुचित था।

एक छात्र ने अपनी डीएमसी (डिग्री मार्कशीट) तक को हवन कुंड में जला दिया था जो उनके विरोध की गंभीरता को दर्शाता है। यह घटना मुख्यमंत्री के आगमन से ठीक पहले हुई थी, जिससे छात्रों को उम्मीद थी कि उनकी बात सुनी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

पुलिस ने कहा- इसलिए उठाया यह कदम

इस घटना के बाद पुलिस ने भी अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है कि उन्होंने छात्रों को धरना स्थल से हटाने के लिए चार मुख्य कारण दिए।

1. अनुमति से अधिक समय तक धरना: पुलिस का दावा है कि छात्रों ने सिर्फ 4-5 घंटे के लिए धरने की अनुमति ली थी, लेकिन उन्होंने इसे खत्म नहीं किया और रात तक जारी रखा।

2. अन्य छात्रों की शिकायतें: पुलिस के अनुसार, कई अन्य छात्रों ने शिकायत की थी कि प्रदर्शनकारी छात्र उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे और प्रदर्शन में शामिल होने के लिए उन पर दबाव डाल रहे थे।

3. बिना अनुमति टेंट और कूलर: पुलिस ने बताया कि कुछ छात्रों ने बिना अनुमति के टेंट और कूलर लगाना शुरू कर दिया था, जिससे ऐसा लग रहा था कि वे गेट नंबर 4 को स्थायी रूप से बंद कर देंगे। इससे विश्वविद्यालय के गेट पर आवाजाही में बाधा आ रही थी।

4. बाहरी लोगों की संलिप्तता: पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ बाहरी लोग छात्रों को भड़का रहे थे और अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे थे, जिससे विश्वविद्यालय का माहौल खराब हो रहा था।

पुलिस का दावा है कि उन्होंने बिना किसी बल प्रयोग के रास्ता सुचारू करवाया और कुछ बाहरी लोगों को हिरासत में लिया है। हालांकि, घायल छात्रों की तस्वीरें पुलिस के इस दावे पर सवाल खड़े करती हैं।

इनलो और कांग्रेस विधायक ने मामले को विधानसभा में उठाने का आश्वासन दिया

इस घटना पर राजनीति भी गरमा गई है। इनलो विधायक अर्जुन चौटाला और कांग्रेस विधायक जस्सी पेटवाड़ ने घायल छात्रों से फोन पर बात की और इस मामले को विधानसभा में उठाने का आश्वासन दिया है। यह दिखाता है कि यह मुद्दा अब केवल विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है।

एचएयू में हुई यह घटना एक तरफ छात्रों के असंतोष को उजागर करती है, तो दूसरी तरफ पुलिस और प्रशासन के रवैये पर भी सवाल खड़े करती है। इस पूरे प्रकरण में किसकी गलती थी, यह तो समय ही बताएगा। इस घटना के बाद, छात्रों के साथ-साथ पूरे प्रदेश की नज़रें अब विधानसभा पर टिकी हैं, जहां इस मुद्दे पर बहस होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों को न्याय मिलेगा। 

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