डीजीपी की अधिकारियों को चिट्ठी: बात-बात पर बल प्रयोग बुद्धिमता नहीं, यह निरंकुश अंग्रेजों की भाषा

कार्यवाहक डीजीपी ओपी सिंह अपनी तीसरी चिट्ठी में अफसरों को क्राउड और मॉब का अंतर को समझकर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 6 बिंदुओं पर काम करने की सलाह दी।

Updated On 2025-10-18 19:34:00 IST

ओपी सिंह, डीजीपी हरियाणा। 

हरियाणा के नए कार्यवाहक कार्यभार संभालने के बाद से ही अफसरों को चिट्टी लिख रहे हैं। शुक्रवार को तीसरी चिट्टी लिखी। जिसमें ओपी सिंह ने पुलिस अधिकारियों को 'क्राउड' (भीड़) और 'मॉब' (उपद्रवी भीड़) का अंतर बताते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों को भीड़ और उपद्रवी भीड़ के बीच अंतर समझाना और उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने के दौरान उचित कार्रवाई करने के लिए मार्गदर्शित करना है। डीजीपी ने कानून व्यवस्था में लगे पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को लिखा कि भारत एक बहु पार्टी लोकतांत्रित देश है। जहां स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान से जनता सत्तापक्ष और विपक्ष के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। जो जनता की जरूरतों और परेशानियों को अलग अलग माध्यमों से प्रकट करते हैं। उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि लाठी डंडा निरंकुश तंत्र अंगेजों की भाषा थी। शांतिपूर्ण धरने, प्रदर्शन व रोष मार्च प्रजातांत्रिक व्यवस्था है। ऐसे में युवा बाहुल स्वतंत्र भारत में बात बात पर बल का प्रयोग करना बुद्धि की बात नहीं है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को अधिकारियों को 6 बिंदुओं पर काम करने की सलाह दी।

विवाद के चलते शत्रुजीत के छुट्टी पर जाने से मिली जिम्मेदारी

आईपीएस पूरन सिंह सुसाइड केस में मुख्य सचिव सहित प्रताड़ित करने वाले 15 अफसरों में नाम आने के बाद प्रदेश सरकार ने 13 अक्टूबर को डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया था। जिसके बाद कार्यवाहक डीजीपी के रूप में ओपी सिंह को यह जिम्मेदारी मिली। इसके बाद से ओपी सिंह पुलिस अफसरों को चिट्ठी लिखकर पुलिस को उसके कामकाज के तरीके बताते रहे हैं। डीजीपी की शुक्रवार को पुलिस अफसरों को लिखी तीसरी चिट्ठी अब तक सबसे अधिक सुर्खियों में हैं। जिसमें अपने अफसरों को कामकाज के तरीके समझाने के साथ कई बिंदुओं पर काम करने के तरीके सांझा किए गए हैं। परंतु सबसे ज्यादा चर्चा भीड़ और मॉब मामले में पुलिस द्वारा किए जाने वाले कार्यों पर डीजीपी द्वारा बताए गए तरीकों की हो रही है।




 


शोषण की नीति के चलते हुआ जलियावाला बाग कांड

डीजीपी ने अपनी चिठी में कानून व्यवस्था का संचालन करने में लगे पुलिस अफसरों को लिखा। भारत में बहु-पार्टी लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था है। स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान से चुने गए प्रतिनिधि सत्ता पक्ष और विपक्ष के रूप में जनता की जरूरतों और दिक्कतों को विभिन्न माध्यमों से प्रकट करते हैं। इन्हीं के आधार पर नीतियां बनती हैं और सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से जिले में तैनात अधिकारी इन नीतियों को लागू करते हैं। उन्होंने जोर दिया कि इन सभी कार्यों का उद्देश्य हमेशा जन-कल्याण होता है। मैं चाहतू हूं कि आप इस बात को समझें कि अहिंसक धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रोष मार्च इत्यादि प्रजातंत्र की व्यवस्था हैं। लाठी-डंडा शोषण में लगे निरंकुश तंत्र अंग्रेजों की भाषा थी। जो लोगों के समूह को ख़तरनाक मानते थे और लोगों को सबक सिखाने के लिए ही जलियांवाला बाग कांड को अंजाम देकर चले गए। आज के युवा-बहुल स्वतंत्र भारत में बात-बात पर अपने ही नागरिकों पर बल-प्रयोग कोई बुद्धिमता नहीं है।

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