Delhi Pollution: गंभीर वायु प्रदूषण के बीच हार्ट के मरीजों को रहना होगा अलर्ट! जानिए क्या हो सकती हैं समस्याएं?

Delhi Pollution: दिल्ली में एक बार फिर वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इससे कई परेशानियां हो सकती हैं। वायु प्रदूषण के बीच हार्ट के मरीजों को अलर्ट रहना चाहिए। वायु प्रदूषण के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

Updated On 2025-05-16 14:17:00 IST

Delhi Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बार फिर डरा रहा है। पिछले कुछ दिनों से यह लगातार खतरनाक स्तर पर है। वैसे भी शहर की बिगड़ती एयर क्वालिटी क‌ई वर्षों से एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बनी हुई है। एक्सपर्ट लोगों से मास्क पहनने, घर के अंदर रहने और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने जैसी सलाह दे रहे हैं। प्रदूषण का यह स्तर सबसे ज्यादा सांस और हार्ट संबंधी बीमारियों (CVD- कार्डियो-वैस्कुलर डिज़ीज़) से जूझ रहे लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि खराब ‌एयर क्वालिटी हृदय रोग से पीड़ित लोगों को किस तरह से प्रभावित कर सकती है और उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों का आंकड़ा

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन, अमेरिका के पोर्टल पर 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट 'ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ फ्राम मेजर एयर पॉल्यूशन सोर्सेज' के अनुसार, जीवाश्म ईंधनों (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस) के दहन से विश्व भर में अनुमानित दस लाख लोगों की मृत्यु हुई (कुल मृत्यु दर का 27.3%); इनमें से 8,00,000 मौतें दक्षिण एशिया या पूर्वी एशिया में हुईं (जो इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों का 32.5% है)।

क्या कहती है जीबीडी की रिपोर्ट?

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) के 2019 में हुए एक अन्य अध्ययन के अनुसार, 2019 में दुनियाभर में हुईं 90 लाख मौतों के पीछे मुख्य कारण प्रदूषण था। इनमें से 61.9% मौतें हृदय संबंधी रोग (सीवीडी) के कारण हुईं, जिसमें इस्केमिक हार्ट डिजीज (आईएचडी) के मामले 31.7%‌ और स्ट्रोक के 27.7%) रहे।

वायु प्रदूषण की वजह से हार्ट संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की तकलीफ कुछ इस तरह बढ़ सकती है-

ब्लड प्रेशर बढ़ना: वायु प्रदूषण के‌ कारण रक्त नलिकाएं सिकुड़ सकती हैं, जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाएगा। हाई ब्लड-प्रेशर से स्ट्रोक का खतरा हो‌ सकता है। इससे क‌ई अन्य समस्याएं भी हो‌ सकती हैं।

हार्ट की धड़कन अनियमित होना: यदि हार्ट संबंधी बीमारियों वाला कोई व्यक्ति गंभीर वायु प्रदूषण वाले इलाके में आता है तो उसके हार्ट की धड़कन अनियमित हो सकती है। खासतौर पर पेसमेकर वाले मरीजों में यह संभावना अधिक होती है।

हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ना: PM2.5 के संपर्क में आने से शरीर में सूजन हो सकती है। ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस हो सकता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।

मौजूदा हार्ट डिज़ीज़ का बिगड़ जाना: खराब वायु गुणवत्ता कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (सीएडी) और हार्ट फेलियर जैसी स्थिति को और बिगाड़ सकती है। ओजोन और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक हार्ट सिस्टम पर दबाव डालते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर और हृदय गति बढ़ जाती है, जो हृदय रोगियों के लिए हानिकारक हो सकता है।

ऑक्सीजन आपूर्ति में कमी: प्रदूषित हवा शरीर में ऑक्सीजन लेवल को कम कर देती है, जिससे हार्ट के रोगियों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से शारीरिक श्रम के समय सांस लेने में तकलीफ, थकान महसूस हो सकती है और हार्ट पर दबाव बढ़ सकता है।

स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाना: वायु प्रदूषक स्ट्रोक के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं, क्योंकि उनकी वजह से‌ धड़कन अनियमित हो सकती है और इससे रक्त के थक्के बन सकते हैं। इसके कारण मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं में रुकावट आ सकती है और स्ट्रोक आ सकता है।

प्रदूषण से कैसे करें बचाव

  • वायु प्रदूषण से बचने के लिए घर से बाहर निकलते समय चेहरे पर मास्क लगाकर निकलें। डॉक्टरों के अनुसा, N95 या N99 मास्क पहनना एक अच्छा ऑप्शन है।
  • जरूरत न हो, तो घर से बाहर न निकलें। बाहरी गतिविधियों को सीमित करें।
  • मॉर्निंग वॉक और ईवनिंग वॉक के लिए घर से बाहर निकलने से बचें। इसकी जगह घर पर ही व्यायाम करें।
  • घर में हवा को शुद्ध करने वाले पौधे लगाएं, जैसे स्नेक प्लांट, स्पाइडर प्लांट और पीस लिली आदि।
  • खाने में एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें, जिनमें भरपूर मात्रा में विटामिन ए, सी और ई पाया जाता है।
  • घर में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें। इससे घर की हवा को शुद्ध रहेगी। डॉक्टर हमेशा HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करने का सलाह देते हैं।
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