Saras Aajeevika Mela 2024: नोएडा के सरस आजीविका मेले में हैंडीक्राफ्ट को दिया जा रहा बढ़ावा, कला और संस्कृति है थीम

Saras Aajeevika Mela 2024: आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए नोएडा में सरस आजीविका मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला 16 फरवरी से 4 मार्च तक चलेगा।

Updated On 2024-02-19 17:48:00 IST
नोएडा के सरस आजीविका मेले में हैंडीक्राफ्ट को दिया जा रहा बढ़ावा।

Saras Aajeevika Mela 2024: आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए नोएडा सेक्टर- 33ए में शिल्प हाट में सरस आजीविका मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला 16 फरवरी से शुरू हो चुका है जो 4 मार्च तक चलने वाला है, जिसमें नोएडा और एनसीआर के अलावा देशभर के लोग घूमने आ रहे हैं।

इस मेले में लगभग 28 राज्यों के 400 से अधिक महिला शिल्प कलाकार, जो परंपरा, हस्तकला और ग्रामीण संस्कृति और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं, साथ ही 85 से ज्यादा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। सरस मेला साल 1999 से लगातार आयोजित होता आ रहा है। इस मेले के माध्यम से लाखों महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार हुआ है।

2 करोड़ महिलाओं को लखपति घोषित करने का सपना

मेले में बच्चों के खेलकूद और मनोरंजन के लिए भी संसाधन मौजूद हैं। दिल्ली-नोएडा सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लाखों लोग मेले में भाग ले रहे हैं। लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई तरह की व्यवस्था की गई है। पारदर्शिता को देखते हुए इस सरस आजीविका मेले में स्वयं सहायता समूहों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है। इस मेले के माध्यम से प्रधानमंत्री का सपना 2 करोड़ महिलाओं को लखपति घोषित करने का है।

मेले में प्रवेश फीस

सरस आजीविका मेला 16 फरवरी से 4 मार्च तक के लिए आयोजित किया जा रहा है, जिसमें लोगों को संस्कृतियों का अनुभव करने के लिए एक अच्छा मौका मिलेगा। मेला सुबह 11:00 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहेगा, जिसमें उपस्थित लोग प्रदर्शन, सांस्कृतिक और भोजन का लुफ्त लोग उठा सकते हैं। यह मेला नोएडा हाट, सेक्टर 33ए, नोएडा सिटी सेंटर में आयोजित किया जा रहा है। मेले में प्रवेश और पार्किंग सभी बिल्कुल फ्री है।

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कई राज्यों के हैंडीक्राफ्ट को किया गया पेश

सरस आजीविका मेला में हैंडलूम टसर की साड़ियां, गुजरात की पटोला साड़ियां, काथा की साड़ियां, राजस्थानी प्रिंट, चंदेरी साड़ियां। हिमाचल उत्तराखंड के ऊनी उत्पाद और हैंडलूम के विभिन्न उत्पाद, झारखंड के पलाश उत्पाद और प्राकृतिक खाद्य सहित मेले में पूरे भारत की ग्रामीण संस्कृति के विविधता भरे उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। 

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