Delhi News: दिल्ली की आशिक अल्लाह दरगाह और फरीद चिल्लागाह पर मंडरा रहा खतरा, सुप्रीम कोर्ट पहुंची एएसआई रिपोर्ट

Delhi News: दिल्ली विकास प्राधिकरण पर आरोप है कि वे दिल्ली के संजय वन में बनी दो प्राचीन स्मारक आशिक अल्लाह दरगाह और फरीद चिल्लागाह को तोड़ना चाहती है। इसको लेकर एएसआई ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है। 

Updated On 2024-12-24 17:42:00 IST
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा आशिक अल्लाह दरगाह और फरीद चिल्लागाह मामला।

Delhi News: दिल्ली के महरौली के संजय वन में बनी दो प्राचीन स्मारक आशिक अल्लाह दरगाह और फरीद चिल्लागाह पर तोड़े जाने का खतरा मंडरा रहा है। कहा जा रहा है कि इन दोनों स्मारकों पर खतरा इसलिए है क्योंकि ये स्मारक ग्रीन बेल्ड पर अतिक्रमण कर बनाई गई हैं। एएसआई ने आज सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ये दोनों ऐतिहासिक ढांचे 12वीं शताब्दी और 13वीं शताब्दी के हैं। 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सौंपी रिपोर्ट

इस रिपोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कहा कि इन दोनों ऐतिहासिक ढांचों (आशिक अल्लाह दरगाह और बाबा शेख फरीदुद्दीन के चिल्लागाह ) का धार्मिक महत्व है। मुस्लिम श्रद्धालु रोजाना यहां आते हैं। बता दें कि जमीर अहमद जुमलाना की तरफ से एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें डीडीए पर आरोप लगा था कि वे इन दोनों ऐतिहासिक ढांचों को गिराने की योजना बना रहे हैं।

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इसको लेकर एएसआई को इन ऐतिहासिक ढांचों की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था। इस याचिका में इन दोनों ऐतिहासिक इमारतों को तोड़ने से रोकने की गुहार लगाई गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि डीडीए अतिक्रमण हटाने के नाम पर इन इमारतों का आंकलन किए बिना इन्हें तोड़ने की योजना बना रही है।

1317 ईसवी में हुआ था निर्माण

सर्वोच्च अदालत ने 29 जुलाई को एएसआई को निर्देश दिए थे कि वे राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के साथ जाकर साइट का दौरा करें और इन ऐतिहासिक इमारतों का आंकलन कर रिपोर्ट पेश करें। आज एएसआई ने रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया है कि इन जगहों का मूल और धर्म के आधार पर ऐतिहासिक महत्व है। एएसआई और एनएमए की एक संयुक्त टीम ने दो संरचनाओं की पहचान की, जो शेख शहीबुद्दीन उर्फ आशिक अल्लाह दरगाह और शेख फरीदुद्दीन चिल्लागाह के नाम से जानी जाती हैं। उन्होंने कहा कि मकबरों पर एक शिलालेख है, जिस पर लिखा है कि इसका निर्माण सन् 1317 ईसवी में किया गया था।

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