Waqf Board Delhi: वक्फ बोर्ड का दावा- यहां मस्जिद थी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जब गुरुद्वारा है तो रहने दो
वक्फ बोर्ड ने दिल्ली के एक गुरुद्वारे को अपनी संपत्ति बताया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद वक्फ बोर्ड ने 2010 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
वक्फ बोर्ड ने शाहदरा के गुरुद्वारे पर किया था दावा।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक गुरुद्वारे की जमीन पर दावे वाली दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी। वक्फ बोर्ड ने जिस गुरुद्वारे की जमीन पर दावा किया था, वह शाहदरा इलाके में स्थित है। बता दें कि यह गुरुद्वारा, विभाजन के बाद से ही यहां मौजूद है। सर्वोच्च कोर्ट ने कहा कि चूंकि गुरुद्वारा दशकों से चल रहा है, इसलिए वक्फ बोर्ड को अपने दावे से पीछे हट जाना चाहिए।
बुधवार की सुनवाई में वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने दलील दी कि निचली अदालतों ने यह माना है कि वहां पहले एक मस्जिद चल रही थी, किसी तरह वहां एक गुरुद्वारा बन गया। इस पर न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने कहा, 'किसी तरह का नहीं...बल्कि यह भलीभांति संचालित हो रहा गुरुद्वारा है, और जब एक बार वहां गुरुद्वारा बन ही गया है, तो उसे वहीं रहने दें। यह धार्मिक संरचना पहले से ही चल रही है।' कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से कहा, 'आपको खुद ही इस पर दावे को छोड़ देना चाहिए।'
2010 में खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा
वक्फ बोर्ड ने 2010 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उसके दावे को खारिज किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वक्फ बोर्ड के दावे के अनुसार, वहां वास्तव में गुरुद्वारे से पहले मस्जिद थी, जिसका नाम तकिया बब्बर शाह मस्जिद था और यह वक्फ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए दी गई भूमि पर बनाई गई थी।
दिल्ली वक्फ बोर्ड ने जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में वापस लेने के लिए याचिका दायर की थी। विरोधी पक्ष ने उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में तर्क दिया था कि यह संपत्ति अब वक्फ की नहीं रह गई है, क्योंकि तत्कालीन मालिक मोहम्मद अहसान ने इसे 1953 में बेच दिया था।