Supreme Court: मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मेधा पाटकर को दी बड़ी राहत, पर सजा बरकरार

Medha Patkar: मानहानि मामले में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हालांकि उनकी सजा को बरकरार रखा गया है।

Updated On 2025-08-11 14:16:00 IST

मेधा पाटकर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।

Medha Patkar: सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर (70 वर्ष) को बड़ी राहत दी है। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट की ओर से 29 जुलाई को दी गई सजा और दंड को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील पर विचार करते हुए एक लाख रुपये के जुर्माने को हटा दिया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि पर्यवेक्षण आदेश (प्रोबेशन) हटा दिया जाए।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के एलजी वी.के.सक्सेना की तरफ से 25 साल पहले दायर किए गए मानहानि मामले में सुनवाई की। न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और एन.कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि वे दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि याचिकाकर्ता के वकील की दलील पर विचार किया गया और 1 लाख रुपए का जुर्माना हटा दिया गया। साथ ही कहा कि इस मामले में पर्यवेक्षण आदेश लागू नहीं होगा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। हालांकि मेधा पाटकर को 'अच्छे आचरण की परिवीक्षा' पर रिहा कर दिया गया था। परिवीक्षा, एक तरह से सजा का सशर्त निलंबन होता है, जिसमें दोषी को जेल भेजने की बजाय अच्छे आचरण के बंधन में रिहा कर दिया जाता है। कोर्ट ने प्रोबेशन की शर्त में भी संशोधन कर दिया था। पहले मेधा पाटकर को हर तीन महीने में एक बार ट्रायल कोर्ट जाकर हाजिरी लगानी होती थी। इस फैसले के बाद उनके पास ऑनलाइन माध्यम से अदालत में पेश होने का ऑप्शन आ गया था। हालांकि अब इस सजा को पूरी तरह से निरस्त कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब मेधा पाटकर को कोर्ट में वर्चुअल या सामने से पेश होने की जरूरत नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि साल 2000 में दिल्ली के वर्तमान एलजी विनय कुमार सक्सेना, गुजरात के एक सामाजिक संगठन के अध्यक्ष हुआ करते थे। उस समय मेधा पाटकर पर मानहानि के आरोप लगाए थे। 1 जुलाई 2024 को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी करार देते हुए साधारण कारावास और 10 लाख रुपए जुर्माना की सजा सुनाई थी। हालांकि सेशन कोर्ट ने उन्हें 25,000 रुपये का मुचलका भरने पर अच्छे व्यवहार के आधार पर रिहा कर दिया था। साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भरने की पूर्व शर्त भी लागू की थी, जिसे अब रद्द कर दिया गया है। 

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