डीडीए, एएसआई का कमाल: शीश महल का हुआ जीर्णोद्धार, मुगल शासक देखते तो DDA-ASI को देते उपहार
उत्तरी दिल्ली के शालीमार बाग स्थित शीश महल के जीर्णोद्धार कार्य में लखौरी ईंटें, चूने की सुर्खी, गुड़, बेल फल और उड़द दाल जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया।
डीडीए और एएसआई ने मुगलकालीन शीश महल का किया जीर्णोद्धार।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने उत्तरी दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मुगलकालीन शीश महल का जीर्णोद्धार किया है। बुधवार को केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना और दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता की मौजूदगी में इस शीश महल का अनावरण कर आम जनता के लिए खोल दिया गया है। खास बात है कि डीडीए और एएसआई की टीम ने जिस तरीके से इस शीश महल का जीर्णोद्धार किया है, उसे अगर मुगल शासक देख लेते तो उन्हें तोहफा देने से पीछे नहीं हटते।
एलजी वीके सक्सेना ने दिया था आदेश
एलजी विनय सक्सेना ने पिछले साल जनवरी माह में इस बाग की दयनीय स्थिति को देखते हुए इसके जीर्णोद्धार करने का फैसला लिया था। इसके लिए डीडीए और एएसआई को निर्देश दिए कि इसका जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया जाए, लेकिन इस पारंपरिक ढाचे और ऐतिहासिक सटीकता से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं हेानी चाहिए।
एलजी विनय सक्सेना का कहना है कि डीडीए और एएसआई ने पुरानी तस्वीरों को देखते हुए शीश महल को उसका पूर्व गौरव वापस दिलाने का काम किया है। जीर्णोद्धार कार्य में लखौरी ईंटें, चूने की सुर्खी, गुड़, बेल फल और उड़द दाल जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया ताकि इन संरचनाओं की मौलिकता और ऐतिहासिक अखंडता बनी रहे। उन्होंने कहा कि इस जीर्णोद्धार कार्य को डीडीए और एएसआई ने जिस तरह से पूरा किया है, उसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं।
शीश महल में हुआ था औरंगजेब का राज्याभिषेक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शालीमार बाग को ऐजाबाद बाग के नाम से भी जाना जाता था। मुगल शासक शाहजहां ने ऐजुन-निशा बेगम की याद में इस पार्क का निर्माण कराया था। शालीमार बाग को यह नाम स्वयं शाहजहां ने दिया था। उर्दू से दो शब्दों को जोड़ा गया था, जिसका अर्थ था 'आनंद का निवास'। हालांकि शाहजहां को जिंदगी के आखिरी पल कठिनाई में गुजारने पड़े थे। शाहजहां का शासनकाल 1628 से 1658 तक था। 1658 में औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को को गद्दी से उतारकर कैद कर लिया। बताया जाता है कि औरंगजेब का पहला राज्यभिषेक इसी शालीमार बाग में हुआ था।
अंग्रेज शासकों को भी पसंद था शीश महल
शालीमार बाग का यह शीश महल अंग्रेज शासकों को भी खासा पसंद था। इतिहासकारों की मानें तो अंग्रेज रेजडेंट सर डेविड ऑक्टरलोनी को जब एकांतवास की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने इसी शीश महल में आश्रय लिया था।
इन ऐतिहासिक धरोहरों का भी होगा जीर्णोद्धार
दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि शीश महल के जीर्णोद्धार का कार्य करने के लिए मध्य प्रदेश, राजस्थान और यूपी के कई कारीगरों को बुलाया गया था। शीश महल अब आम जनता के लिए खोल दिया गया है। खास बात है कि एंट्री निशुक्ल है। अधिकारियों का कहना है कि दिलली में मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में काम किया जा रहा है। महरौली पुरातत्व पार्क, सेंट जेम्स चर्च, हजरत निजामुद्दीन बस्ती और अनंगपाल तोमर वन इनमें शामिल है। इनके जीर्णोद्धार का कार्य पूरा होते ही इन्हें भी आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा।