Professor Ali Khan Case: प्रो. अली खान केस में SIT को सुप्रीम कोर्ट की सख्त हिदायत, 'जांच का दायरा न बढ़ाएं...जारी रहेगी अंतरिम राहत'
Professor Ali Khan: सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को राहत देते हुए अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ा दी है। कोर्ट ने इस मामले में गठित SIT को जांच के दायरे के संबंध में सख्त निर्देश भी दिए हैं।
Professor Ali Khan: हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर राहत मिल गई है। देश की सर्वोच्च कोर्ट ने प्रो अली को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि को अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर की जांच कर रही हरियाणा पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वह अपनी जांच का दायरा सीमित रखे और किसी अन्य विषय या पहलू को इसमें शामिल न करें।
सुनवाई के दौरान प्रो. महमूदाबाद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जब कोर्ट को इस विषय से अवगत कराया कि SIT अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अतिरिक्त पहलुओं की भी जांच कर सकती है। तो जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने कहा, 'हम निर्देश देते हैं कि SIT की जांच केवल उन दो FIR तक ही सीमित रहेगी, जो वर्तमान कार्यवाही का विषय हैं। जांच रिपोर्ट को संबंधित क्षेत्राधिकार वाली अदालत में प्रस्तुत करने से पहले इस न्यायालय के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।'
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर महमूदाबाद को पूर्व में दी गई अंतरिम सुरक्षा को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) से स्पष्ट रूप से कहा है कि जांच का दायरा दो एफआईआर तक ही सीमित रहेगा और SIT इससे बाहर नहीं जा सकती।
‘डिजिटल डिवाइस की क्या जरूरत?’
सुनवाई के दौरान जब प्रोफेसर महमूदाबाद के डिजिटल उपकरणों की जब्ती की बात उठी, तो कोर्ट ने सवाल किया, 'जब दोनों एफआईआर पहले से ही रिकॉर्ड में हैं, तो डिजिटल डिवाइस की जांच की आवश्यकता क्यों है?' जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'SIT को अपनी जांच के लिए जरूरी सामग्री पर राय बनाने की स्वतंत्रता है, लेकिन वह इधर-उधर न भटके।'
'मीडिया ट्रायल नहीं चाहिए'
कपिल सिब्बल द्वारा प्रो. महमूदाबाद पर लगाई गई कुछ शर्तों में ढील देने की मांग पर अदालत ने स्पष्ट किया, 'हम समानांतर मीडिया ट्रायल नहीं चाहते। वह किसी अन्य विषय पर लिखने के लिए स्वतंत्र हैं। उनकी अभिव्यक्ति की आजादी पर कोई रोक नहीं है।'
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर किए थे, जिन्हें विवादित बताया जा रहा है। इसके बाद उनके खिलाफ कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और असंवेदनशील टिप्पणी करने के आरोप लगे थे। इस कारण उनके खिलाफ पुलिस केस दर्ज हुआ और उनकी गिरफ्तारी की मांग उठी। इसके बाद उन्हें 18 मई को गिरफ्तार कर लिया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उन्हें वहां से अंतरिम जमानत मिल गई।