Air Pollution: वायु प्रदूषण... दिल्ली सरकार का ऐसा फैसला, जो दशकों से आप और कांग्रेस नहीं कर पाई
दिल्ली सरकार ने एंड-ऑफ-लाइफ की गाड़ियों को ईंधन न देने का फैसला वापस ले लिया है, लेकिन अभी भी बैकफुट पर है। विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली सरकार सही राह पर है। जानिये कैसे?
दिल्ली सरकार लड़ रही वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को ईंधन न देने की योजना पर आपत्ति जताते हुए सीएम रेखा गुप्ता को पत्र लिखा है। एलजी ने कहा है कि दिल्ली ऐसे किसी भी प्रतिबंध के लिए तैयार नहीं है। इसके कारण आम लोगों को भारी नुकसान होगा। उन्होंने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को भी पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के 2018 के दिशा-निर्देशों के अमल को स्थगित करने का आग्रह किया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए ऐसे वाहनों को डी-रजिस्टर करने की बात कही थी। एलजी सक्सेना ने अपने पत्र में आगे क्या लिखा, इस पर बाद में बात करेंगे। पहले बताते हैं कि दशकों से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर में पहले ऐसा फैसला लागू हुआ था या नहीं...
वायु प्रदूषण दशकों से बनी चुनौती
दिल्ली-एनसीआर के लिए वायु प्रदूषण की समस्या दशकों से बनी है। इसके बावजूद अभी तक निजी वाहनों को अनफिट मानकर ईंधन न देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया हो। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट से जुड़ी शांभवी शुक्ला के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि सीएसई ने किसी भी वाहन पर उम्र के हिसाब से प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं की गई। सीएसई ने हमेशा ईंधन और उत्सर्जन मानकों में सुधार पर ही ध्यान दिया है। मसलन, 1990 के दशक के मध्य बीएस-0 की सिफारिश की गई थी, वहीं 2020 आते आते बीएस-6 इंजन की सिफारिश की गई। उन्होंने कहा कि ईओएल वाहनों को ईंधन न देना कोई विकल्प नहीं है। वायु प्रदूषण के कई कारण हैं, जिस पर गंभीरता से कार्य होना चाहिए।
दिल्ली सरकार सही दिशा में काम कर रही?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशेषज्ञ मानते हैं कि वायु प्रदूषण न्यूनीकरण योजना 2025 को लेकर दिल्ली सरकार ने सकारात्मक योजना बनाई है। हालांकि इसमें कई चुनौती हैं। दिल्ली सरकार ने 1 नवंबर 2025 के बाद से बीएस 6, सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को ही राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति देने की बात कही है। यह नियम दिल्ली से पहले पंजीकृत वाहनों पर लागू नहीं होगा। लेकिन मध्यम और बड़े कमर्शियल को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
इसी प्रकार, 2027 तक 2000 इलेक्ट्रिक बसें और 2229 ई ऑटो तैनात किए जाएंगे। ई व्हीकल्स के प्रति रुझान पैदा करने के लिए समय-समय पर ऑफर दिए जाएंगे और सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की संख्या 18000 तक की जाएगी।विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक वायु प्रदूषण वाले 13 स्थानों पर मिस्ट स्प्रेयर लगाना, बड़े व्यवसायिक भवनों में एंटी स्मॉग गन लगाना, वायु प्रदूषण बढ़ने पर कृत्रिम बारिश समेत कई कदम हैं, जो वायु प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होंगे।
एलजी सक्सेना ने अपने पत्र में क्या लिखा?
एलजी विनय सक्सेना ने सीएम रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के लिए ईंधन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला वापस लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की दोबारा से समीक्ष के लिए याचिका दायर की जाए। उन्होंने कहा कि इन वाहनों के लिए ईंधन पर प्रतिबंध लगाने को लेकर आम लोगों से लेकर विशेषज्ञों तक की ढेरों प्रतिक्रियाएं आई हैं। इनका मानना है कि यह नीति जमीन स्तर पर लागू नहीं की जा सकती है। इससे वायु प्रदूषण नियंत्रण होगा, यह भी संदिग्ध है। लिहाजा, इस फैसले को वापस लेना चाहिए।
बता दें कि दिल्ली की पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सबसे पहले CAQM को पत्र लिखकर ईओएल ( End Of Life) वाहनों को ईंधन न देने के निर्देश पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि दिल्ली इस प्रतिबंध के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। उन्होंने कई खामियां गिनवाईं थी, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया था।
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