France Protest: नेपाल के बाद फ्रांस में बवाल, सड़कों पर प्रदर्शन, 80,000 पुलिसकर्मी तैनात
France Protest: नेपाल के बाद अब फ्रांस में भी हिंसक झड़प शुरू हो गई है। अब तक पेरिस से 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया जा चुका है। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए 80000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
फ्रांस प्रदर्शन।
France Protest: नेपाल में हुई हिंसक झड़प में कई लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इसके बाद भी लगातार हिंसक प्रदर्शन चलता रहा। नेपाल का विवाद अभी पूरी तरह से थमा भी नहीं था कि फ्रांस में भी बवाल देखने को मिल रहा है। इन दिनों फ्रांस की सड़कों पर अराजकता और संसद में अस्थिरता देखने को मिल रही है।
फ्रांस की जनता ने सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। 9 सितंबर को पूर्व रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू देश के नए प्रधानमंत्री बनाए गए थे। इसके बाद 10 सितंबर को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और जमकर प्रदर्शन किया। बता दें कि फ्रांस में एक साल के अंदर 4 बार प्रधानमंत्री बदले गए हैं।
बता दें कि हाल ही में पूर्व रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया गया है। उन्होंने संसद में भरोसा खो चुके पूर्व पीएम फ्रांस्वा बायरो की जगह ली। वे सोमवार रात अपने ही आत्म-विश्वास मत में हार गए थे। इसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। बायरो ने देश का कर्ज कम करने के लिए 35 अरब पाउंड कटौती योजना पेश की थी, जो जनता को रास नहीं आई। फ्रांस के लोगों ने इसके लिए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, जो अब हिंसक हो चुका है।
फ्रांस की राजधानी पेरिस में लोग जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस और जनता के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई। अब तक पुलिस पेरिस से 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले चुकी है। प्रदर्शनकारियों ने रेन शहर में एक बस को आग लगाई थी। प्रदर्शनकारियों ने दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र में एक बिजली लाइन को नुकसान पहुंचाया। इसके कारण ट्रेन सेवाएं रोक दी गईं। सुरक्षा व्यवस्था कायम रहे इसके लिए पेरिस की सड़कों पर लगभग 80,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने शहर को पूरी तरह से ब्लॉक कर रखा है। नकाबपोश लोगों ने कचरे के डिब्बे व अनु्य बैरिकेड्स लगाकर सड़कें जाम कर रखी हैं। बोरदॉ और मार्सिले जैसे शहरों में भी हालात काफी खराब हैं। वहां प्रदर्शनकारियों ने सड़कों और चौराहों को घेर लिया है। पुलिस पर हमले किए जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति मैक्रों की खराब नीतियां और बजट में कटौती जैसे कई मुद्दों को लेकर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे हैं। वामपंथी गठबंधन और जमीनी संगठनों ने इस आंदोलन को आयोजित किया। वहीं आंदोलन की थीम ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ यानी सब कुछ ठप्प रखी गई है। संगठनों का मानना है कि ऐसा करने से सरकार को झुकने पर मजबूर किया जा सकता है।
बता दें कि प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति मैक्रों की खराब नीतियों के कारण सड़कों पर उतरे हैं। उनका कहना है कि मैक्रों की नीतियां आम लोगों के हित में नहीं हैं बल्कि ये नीतियां अमीरों को फायदा पहुंचाने वाली हैं। इसके अलावा इस बार बजट में भी कटौती की गई है।
कहा जा रहा है कि फ्रांस सरकार ने खर्चों में कटौती और कल्याणकारी योजनाओं में कमी कर आर्थिक सुधार लागू किए। इसके कारण मिडिल क्लास और लेबर क्लास पर दबाव बढ़ा। इतना ही नहीं देश में बार-बार प्रधानमंत्री बदले जाने पर भी लोगों में अस्थिरता और असंतोष बढ़ता गया।