National Herald Case: ASG राजू बोले- ये ओपेन एंड शट केस, ईडी के आरोपों पर कल सोनिया-राहुल रखेंगे अपना पक्ष
National Herald Case: राउज एवेन्यू कोर्ट में गुरुवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की तरफ से दलीलें पूरी कर ली गई हैं। वहीं कल सोनिया और राहुल गांधी की तरफ से अपनी दलीलें पेश की जाएंगी।
सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस
National Herald Money Laundering Case: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस की गुरुवार, 03 जुलाई को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में ईडी ने इस मामले में अपनी दलीलें पूरी कर लीं। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का प्रथम दृष्टया मामला बनने का दावा किया गया।
वहीं आज दोपहर 2.30 बजे कांग्रेस द्वारा इस मामले पर बहस होनी थी, लेकिन किसी कारणवश बहस को टाल दिया गया। अब इस मामले पर अगली बहस कल यानी शुक्रवार को होनी है। शुक्रवार को राहुल गांधी और सोनिया गांधी के वकील अपनी दलील पेश करेंगे।
वहीं इस मामले में गुरुवार को सुनवाई के बाद एएसजी राजू ने बताया कि 'मैंने इस मामले में दलील खत्म कर ली है। दोपहर 2.30 बजे दूसरे पक्ष को दलील पेश करनी थी लेकिन किसी कारणवश ये नहीं हो सका। इसलिए अब इस मामले में कल दूसरे पक्ष की तरफ से सुनवाई की जाएगी। ये एक ओपेन एंड शट केस है। यंग इंडियन कंपनी का इस्तेमाल 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को हड़पने के उद्देश्य से किया गया था।'
ईडी ने यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को महज एक कागजी कंपनी करार दिया है। ईडी ने कोर्ट में दावा किया कि इस कंपनी को असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति हड़पने के लिए बनाया गया था। उन्होंने दावा किया कि यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जरिए असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2000 की संपत्ति हड़पने की योजना थी। इसका अंतिम लाभ और नियंत्रण राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास रहता।
ईडी के वकील और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि YIPL महज एक कागजी कंपनी थी। इसे मनी लॉन्ड्रिंग की की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एक विशेष उद्देश्य के रूप में इस्तेमाल किया गया। ईडी ने इसे आपराधिक साजिश बताते हुए कहा कि इससे कांग्रेस के दानदाताओं और एजेएल के शेयर होल्डर्स को धोखा दिया गया।
सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने ईडी से सवाल किया। उन्होंने पूछा कि जब पब्लिक सेक्टर यूनिट्स और प्राइवेट कंपनियां नियमित रूप से ऋण माफ करती हैं, तो इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग क्यों मानें। इस पर ईडी की तरफ से जवाब दिया गया कि ये मामला गैर-निष्पादित परिसंपत्ति जैसा नहीं है। इसकी वजह ये है कि एजेएल के पास मूल्यवान संपत्तियां थीं और इसके बावजूद इसे मात्र 50 लाख रुपए में ट्रांसफर किया गया।
इतना ही नहीं ईडी ने दावा किया कि यंग इंडियन कंपनी को 18.12 करोड़ रुपए की फर्जी दान राशि मिली। इसका इस्तेमाल कंपनी का इनकम टैक्स और अन्य देनदारियों के लिए किया गया। इस मामले में 142 करोड़ रुपए की अपराध की आय यानी प्रोसीड्स ऑफ क्राइम की पहचान हुई।
हालांकि कांग्रेस ने इस मामले को राजनीतिक बदला बताया है। साथ ही ईडी की की कार्रवाई को केंद्र सरकार की साजिश बताया है। इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ईडी की ये कार्रवाई पार्टी को आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है। इस कंपनी को नेशनल हेराल्ड के पुनर्जनन के लिए बनाया गया था। इससे किसी तरह का वित्तीय लाभ नहीं लिया गया।