Delhi Metro: मेट्रो में नहीं फंसेगी साड़ी, दुपट्टा और बैग, DNRC जल्द लाएगा नया फीचर

Delhi Metro: आने वाले समय में दिल्ली मेट्रो में कपड़े और बैग आदि फंसने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके लिए DMRC एंटी-ड्रैग सिस्टम ला रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत कर दी गई है।

Updated On 2025-07-29 19:41:00 IST

दिल्ली मेट्रो में लगाया गया एंटी ड्रैग सिस्टम।

Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो में आपने अकसर अनाउंसमेंट के दौरान सुना होगा कि मेट्रो में चढ़ते एवं उतरते समय अपने ढीले कपड़े जैसे- साड़ी, दुपट्टा, धोती या बैग इत्यादि का ध्यान रखें। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ये चीजें मेट्रो का गेट बंद होते समय कई बार फंस जाती हैं। हालांकि आने वाले समय में ऐसी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

ऐसा इसलिए क्योंकि डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन) ने इस परेशानी से बचने के लिए काम शुरू कर दिया है। इसके लिए एक मेट्रो ट्रेन में पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है। ट्रायल के तौर पर एक ट्रेन में एंटी-ड्रैग सिस्टम लगाया है। इस सुरक्षा उपाय से मेट्रो के दरवाजों के बीच दबाव का पता लगते ही ऑटोमेटिक रूप से इमरजेंसी ब्रेक लगा देगा।

दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक ट्रेन में एंटी-ड्रैग सिस्टम लगाया है। अब चार और ट्रेनों में यह सुविधा लगाई जाएगी। इन मेट्रो ट्रेनों का विश्लेषण और फीडबैक लेकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। आने वाले एक से दो साल इनका ट्रायल किया जाएगा। इसके बाद ओवरऑल प्रदर्शन के आधार पर और जरूरत के अनुसार बाकी ट्रेनों या लाइनों के लिएइस फीचर सिस्टम पर काम किया जाएगा।

जानकारी के अनुसार, मेट्रो ट्रेनों के दरवाजे बंद होते समय यात्रियों या उनके सामान के दरवाजों में फंसने और चलती ट्रेन में घिसटने से होने वाली चोटों को रोकने के लिए एंटी-ड्रैग सिस्टम को डिजाइन किया गया है। ये फीचर बेल्ट, कपड़ा, साड़ी और बैग के पट्टे जैसी चीजों की पहचान करने में मदद करेगा।

मेट्रो ट्रेन के दरवाजों में किसी रुकावट का पता लगाने के लिए दरवाजों की दहलीज आमतौर पर 15 मिमी होती है। अब इसे घटाकर 7 मिमी कर दिया गया है। इससे सामान फंसने पर जल्दी पता चल सकेगा। वर्तमान समय में 15 मिमी की मोटाई से कम मोटाई वाली कोई भी चीज दरवाजों के बीच फंसने पर रुकावट का पता नहीं चल पाता है।

डीएमआरसी के एमडी विकास कुमार ने बताया कि एंटी-ड्रैग सुविधा की जरूरत केवल पुरानी लाइनों पर ही पड़ेगी। आने वाले चौथे चरण के मेट्रो कॉरिडोर या मौजूदा पिंक और मैजेंटा लाइनों में मेट्रो ट्रेन के दरवाजों के बीच कुछ फंसने की समस्या नहीं होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनमें प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) लगे हैं। 

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