Viral Flu: दिल्ली-NCR में वायरल फ्लू का कहर, इन लक्षणों को न करें अनदेखा

Viral Flu: दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों मौसमी बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है। हाल के सर्वे में पता चला कि दिल्ली-एनसीआर में लगभग 69 फीसदी घरों में फ्लू से संक्रमित लोग पाए गए हैं। जानें इसके लक्षण...

Updated On 2025-09-17 17:46:00 IST

दिल्ली-एनसीआर में तेजी से फैल रहा वायरल फ्लू।

Viral Flu In Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर में मानसून का सीजन खत्म होने के बाद वायरल फ्लू का कहर देखने को मिल रहा है। दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में रहने वाले लोगों में एच3एन2 फ्लू का असर देखने को मिल रहा है। इस फ्लू से लोगों को खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में किए गए एक सर्वे में पता चला कि दिल्ली-एनसीआर में 69 फीसदी घरों में परिवार के किसी न किसी सदस्य में वायरल फ्लू के लक्षण हैं।

बता दें कि लोकल सर्किल्स द्वारा यह सर्वे किया गया, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के 11,000 से ज्यादा घरों का सर्वे किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में 37 फीसदी ऐसे घर पाए गए, जहां पर 4-5 सदस्य फ्लू से संक्रमित हैं। हालांकि 25 फीसदी घरों में वायरल फ्लू का कोई भी मरीज नहीं पाया गया।

क्या है वायरल फ्लू की वजह?

दिल्ली-एनसीआर में तेजी से फैल रहे वायरल फ्लू के पीछे की वजह एच3एन2 इन्फ्लूएंजा ए वायरस को बताया जा रहा है। यह वायरस लोगों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इसके लक्षण सामान्य फ्लू के जैसे ही होते हैं। आमतौर पर होने वाले सामान्य फ्लू 5-6 दिनों में ठीक हो जाते हैं, जबकि एच3एन2 वायरस से छुटकारा पाने में 10 दिन तक लग जाते हैं। इन दिनों शहर के अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।


क्या हैं वायरल फ्लू के लक्षण?

डॉक्टरों का कहना है कि बदलते मौसम के कारण इस तरह की बीमारियां फैल रही हैं। इसके अलावा कई जगहों पर गंदे पानी भरने, गंदा पानी इकट्ठा होने की वजह से भी फ्लू फैल रहा है। एच3एन2 वायरस के लक्षण आमतौर पर सर्दी-जुकाम जैसे ही होते हैं। जैसे तेज बुखार, खांसी, सिरदर्द, शरीर दर्द, गले में खराश, ठंड लगना, थकान या कमजोरी, उल्टी या दस्त (खासकर बच्चों में) शामिल हैं।

किन लोगों को ज्यादा खतरा?

एच3एन2 इन्फ्लूएंजा ए वायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। हालांकि कुछ लोगों को इस वायरस का ज्यादा खतरा रहता है। इनमें खासकर छोटे बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। इसके अलावा अस्थमा, डायबिटीज, सीओपीडी या दिल की बीमारी, क्रोनिक किडनी या लिवर की बीमारी वाले लोगों को ज्यादा जोखिम रहता है।

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