Delhi Khan Market: किसने बसाया था दिल्ली का खान मार्केट, किसके नाम पर फेमस हुआ यह बाजार
Delhi Khan Market: दिल्ली का खान मार्केट सबसे महंगा बाजार है। यहां आपको एक से बढ़ कर एक चीजें मिलेंगी। लेकिन क्या आपको पता है कि यह मार्केट क्यों और किसने बसाया था? 1951 से इसका क्या संबंध है।
दिल्ली खान मार्केट की रोचक कहानी।
Delhi Khan Market: अगर आप दिल्ली में रहते हैं या कभी गए हैं, तो आपने 'खान मार्केट' के बारे में जरूर सुना होगा। यह मार्केट अक्सर चर्चा में भी रहता है। वैसे तो यह मार्केट अपनी खास दुकानों और बढ़िया खाने के रेस्टोरेंट और कैफे के लिए मशहूर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका नाम कैसे पड़ा? आखिर वो 'खान' कौन था, जिसके नाम पर दिल्ली के इस मार्केट का नाम 'खान मार्केट' पड़ा। आइए आपको बताते हैं...
कैसे पड़ा मार्केट का नाम?
बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी 'अब्दुल जब्बार खान' के नाम पर ही 'खान मार्केट' का नाम रखा गया था। यह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और 'सीमांत गांधी' के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान के बड़े भाई थे। 1951 में स्थापित इस मार्केट का उद्देश्य भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए एक व्यापारिक स्थल प्रदान करना था। अब्दुल जाफर खान ने पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को बसाने में अहम भूमिका निभाई थी, इसलिए उनके नाम पर इसे 'खान मार्केट' कहा जाने लगा।
क्या है मार्केट के बसने की कहानी?
आजादी के बाद शुरुआत में यहां पाकिस्तान से हिंदू शरणार्थी आते थे। उनके लिए यह मार्केट बनाया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआत में इस मार्केट में सिर्फ 154 दुकानें और 74 फ्लैट बनाए गए थे। लेकिन धीरे-धीरे यहां विकास होने लगा। पाकिस्तान से आए 74 परिवारों में से अब सिर्फ तीन परिवार ही इन फ्लैटों में रहते हैं, बाकी सभी जगह दुकानें खुल गई हैं।
कभी सिर्फ 50 रुपए था दुकान का किराया
जब 1951 में खान मार्केट बना था, तब यहां कुछ ही दुकानें थीं। उस समय यहां की दुकानों का किराया 50 रुपए के आसपास हुआ करता था। लेकिन समय के साथ यह मार्केट दिल्ली के सबसे महंगे और अच्छे मार्केट में से एक बन गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज यहां की दुकानों का किराया करीब 6 से 8 लाख रुपए है। खान मार्केट में दिल्ली के कई लोग शॉपिंग करने के लिए जाते हैं।