delhi haunted place: दिल्ली के भूतिया किले की क्या है कहानी, क्या है भूली भटियारी का रहस्य?

दिल्ली में भूली भटियारी का महल एक ऐतिहासिक स्मारक है। 14वींशताब्दी में बनवाया गया ये महल दिल्ली के करोल बाग में मौजूद है। कहा जाता है कि इस महल से रात में अजीबोगरीब आवाज आती हैं।

Updated On 2025-07-18 06:30:00 IST

Delhi Haunted Place: दिल्ली में एक ऐसा महल है, जिसे भूतिया महल के नाम से जाना जाता है। यह महल दिल्ली के करोल बाग इलाके के पास सेंट्रल रिजर्व फॉरेस्ट में स्थित है। इसका नाम भूली भटियारी है। ये इलाका एकदम शांत और सूनसान है। रात के समय इस इलाके के पास जाने में भी लोग कतराते हैं। लोगों का मानना है कि भूली भटियारी का महल रहस्यमयी है, जिससे अजीबोगरीब और डरावनी आवाजें आती हैं। यहां सूर्यास्त के बाद लोगों का जाना मना है। यह महल भूतिया कहानियों के लिए प्रसिद्ध है, जो दिन में इतिहास की गवाही देता है। आज इस महल के हालात खंडहरनुमा हो चुके हैं।

फिरोजशाह तुगलक ने करवाया निर्माण

इस महल का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने शिकारगाह के लिए करवाया था, जिसका मतलब शिकार खेलने का स्थान है। पहले के राजा-महाराजा शिकार खेलने का शौक रखते थे, जो शिकार करने के लिए आखेट वन जाया करते थे। भूली भटियारी का महल एक विशाल आकार में लाल पत्थरों से निर्मित किया गया था। इस महल के अंदर दो विशाल द्वार, छोटे-छोटे कमरे और एक बड़ा आंगन है।

महल से जुड़ी कहानियां

इस किले से जुड़ी एक कहानी प्रचलित है कि एक बार राजस्थानी कबीले की महिला रास्ता भटककर इस जगह आ गई और यहीं पर अपना ठिकाना बनाकर रहने लगी। ये महिला भटियारी जनजाति से थी, इसका नाम भूरी थी। कुछ समय के बाद इस महिला की मौत हो गई थी, जिसकी आत्मा आज भी इस महल के आस-पास भटकती है। इसी महिला के नाम पर इस महल का नाम भूली भटियारी पड़ा था।

कुछ लोगों का कहना है कि भूली भटियारी नाम बू अली बख्तियार के नाम पर पड़ा था। बू अली एक संत थे, जो इसी जगह पर रहा करते थे। इससे जुड़ी एक और किवदंती है कि इस महल में तुगलक वंश के एक राजा-रानी रहा करते थे। राजा, रानी की बेवफाई के कारण इस महल को छोड़कर चला गया था। उसके बाद रानी ने राजा की याद में भटकते-भटकते यहीं पर अपने प्राण त्याग दिए थे। कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रानी की आत्मा आज भी इस महल के आस-पास भटकती है।

रात में आती है चीखने और चिल्लाने की आवाजें?

भूली भटियारी महल एक शांत पर्यटक जगह है, लेकिन शाम 5 बजे के बाद यहां जाना मना है। लोगों का मानना है कि शाम होते-होते इस जगह से डरावनी आवाजें आती हैं। भूस्थानीय लोगों का कहना है कि यहां किसी अज्ञात शक्ति और अनजान छाया का अनुभव होता है। अब यह जगह पुरातत्वीय विभाग के संरक्षण में है। 

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