High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण न देने पर जताई नाराजगी, सरकार को दिए निर्देश

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर को आरक्षण न देने पर सरकार को निर्देश देते हुए तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

Updated On 2025-10-06 17:53:00 IST

ट्रांसजेंडर्स को आरक्षण न देने पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला।

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण नीति को लागू नहीं करने पर सोमवार को दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। कोर्ट का कहना है कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए NALSA जजमेंट में साफ निर्देश दिए गए थे कि ट्रांसजेंडर्स को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग माना जाए। इसके अलावा उन्हें भी आरक्षण की सहायता मिलनी चाहिए, लेकिन सरकार द्वारा इस पर कोई ठोस नीति अब तक नहीं बनाई गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट में कोर्ट अटेंडेंट पद पर निकली भर्ती के एक ट्रांसजेंडर उम्मीदवार ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के माध्यम से उसने कहा था कि उसे इसमें आरक्षण चाहिए।

इस मामले पर चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने याचिका को जनहित याचिका में बदलते हुए कहा था कि यह मामला केवल एक व्यक्ति से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण से कनेक्ट है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद को पक्षकार बनाते हुए इसे लेकर नोटिस जारी किया था।

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सरकार को दिए निर्देश 

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक आरक्षण लागू नहीं किया गया है, जो एक बड़ी लापरवाही है। सरकार को इसे लेकर जल्द नीति बनाकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना पड़ेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार की 2021 की अधिसूचना में केवल 5 साल की आयु सीमा में छूट और 5 प्रतिशत मार्क्स में राहत दी गई थी, लेकिन आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं किया गया।

याचिकाकर्ता के मुताबिक,अधिसूचना में दी गई छूट को भी लागू नहीं किया गया है, जिसकी वजह से कई ट्रांसजेंडर उम्मीदवार आवेदन नहीं कर पाए। ऐसे में अदालत ने सरकार को समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ठोस नीति अपनाने के लिए कहा।

हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि 10 दिनों के भीतर हाईकोर्ट से परामर्श करके जरूरी फैसला लें। अगर ट्रांसजेंडर्स को छूट दी जाती है, तो आवेदन की आखिरी तारीख 1 महीने तक बढ़ा देनी चाहिए और इसकी सूचना व्यापक रूप से पब्लिक करनी चाहिए।

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