Delhi: तिहाड़ जेल से अफजल गुरु-मकबूल भट्ट की कब्र हटाने की मांग, दिल्ली HC में लगी याचिका

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाकर तिहाड़ जेल में मौजूद आतंकियों मकबूल भट्ट और अफजल गुरु की कब्रों को हटाने की मांग की गई है। जानें क्या है वजह...

Updated On 2025-09-22 14:48:00 IST

दिल्ली HC ने तिहाड़ जेल से आतंकियों की कब्र हटाने की अर्जी पर सुनवाई ने किया इनकार।

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें तिहाड़ जेल में मौजूद आतंकी मकबूल भट्ट और अफजल गुरु की कब्रों को हटाने की मांग की गई है। इन दोनों को आतंकवाद से संबंधित अपराधों के लिए फांसी दी गई थी। याचिका में तर्क दिया गया कि इन कब्रों के मौजूद होने से तिहाड़ जेल कथित तौर पर कट्टरपंथी तीर्थस्थल बन गया है।

याचिका में मांग की गई है कि तिहाड़ जेल में बनी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्रें हटा दी जाएं। उनके अवशेष किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित किए जाएं। दिल्ली हाईकोर्ट में यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संघ द्वारा दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया कि जेल परिसर में इन कब्रों का मौजूद होना और उनको बनाए रखना अवैध और असंवैधानिक है।

याचिका में क्या कहा गया?

याचिका में कहा गया कि जेल के अंदर इन कब्रों का निर्माण और उनका अस्तित्व अवैध, असंवैधानिक और सार्वजनिक हित के खिलाफ है। याचिका में दावा किया गया कि यह दिल्ली जेल नियम, 2018 के प्रावधानों के खिलाफ है। इस नियम के अनुसार, फांसी की सजा पाए कैदियों के शवों का निपटारा इस तरह से करने के निर्देश हैं, जिससे किसी भी तरह से आतंकवाद का महिमामंडन न हो और जेल में अनुशासन बना रहे। याचिका में दावा किया गया कि तिहाड़ जेल में कुछ लोग इन कट्टरपंथी आतंकियों की कब्रों की इबादत करने के लिए इकट्ठा होते हैं।

अवशेष को स्थानांतरित करने की मांग

याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया कि अगर किसी वजह इन कब्रों को जेल से हटाना संभव न हो, तो उनकी अस्थियों को किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए। इसका उद्देश्य सिर्फ शवों का स्थानांतरण नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि इन कब्रों के जरिए आतंकवाद का महिमामंडन न हो और जेल परिसर का दुरुपयोग न हो। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से जल्द ही मामले पर सुनवाई की मांग की है।

कब दी गई थी आतंकियों को फांसी?

दरअसल, मकबूल भट्ट और अफजल गुरु को आतंकवाद से जुड़े अपराधों के लिए फांसी दी गई थी। मकबूल भट्ट को फरवरी 1984 में, जबकि अफजल गुरु को फरवरी 2013 में फांसी दी गई थी।

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