Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने साइबर क्राइम का मामला किया रद्द, कहा- 'लालच में अंधे होकर...'

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने ठगी के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अगर आप अवास्तविक फायदों के पीछे भागेंगे, तो आपको उसका नुकसान भी भुगतना होगा।

Updated On 2025-08-19 13:35:00 IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द की शादी

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि लोग लालच में अंधे होकर जानबूझकर जोखिम को स्वीकार करते हैं। इसके कारण इसके परिणाम भी भुगतने होंगे। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सालाना 24 फीसदी का रिटर्न देने का वादा करके निवेशकों को फंसाने के आरोप में एक शख्स के खिलाफ 2 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले को रद्द कर दिया।

जानकारी के अनुसार, इस मामले में जस्टिस अरुण मोंगा ने 35 पन्नों का फैसला सुनाते हुए धोखाधड़ी को आसानी से पैसा बढ़ाने को 'जाल' करार दिया है। साथ ही उन्होंने अवास्तविक रिटर्न की चाह रखने वालों को चेतावनी भी दी।

13 अगस्त को उन्होंने अपने एक फैसले में कहा कि जो लोग अवास्तविक वादों के पीछे भागते हैं। इन लोगों को अपना नुकसान खुद उठाना होगा। लोग पहले लालच में आकर वित्तीय जाल में कूद जाते हैं। इसके बाद जब इन लोगों के साथ धोखा हो जाता है, तो वो धोखा होने का रोना रोते हुए मदद मांगने दौड़ पड़ते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर आप असाधारण मुनाफे की चाह रखते हैं, तो नुकसान के लिए भी तैयार रहें। लालच चुनने का मतलब जोखिम चुनना है, जिसके परिणाम भी भुगतने होंगे।

जस्टिस ने कहा कि निवेश करने वाले लोग ये दिखावा नहीं कर सकते कि उन्हें जादू से ठगा गया है। आपने कुद ठगी का शिकार होने के लिए कदम आगे बढ़ाया। जो लोग जल्दी अमीर बनना चाहते हैं, ये उनके लिए एक चेतावनी है।

बता दें कि इस मामले में साल 2019 में दिल्ली पुलिस ने शिकायत दर्ज की थी, जिसमें तीन शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उनके साथ 1.5 करोड़ रुपए की ठगी हुई है। आरोपी ने 6 महीने में 1.5 करोड़ रुपये के निवेश पर 24 फीसदी सालाना ब्याज देने का वादा किया था। हालांकि बाद में न तो ब्याज मिला और न ही मूल राशि वापस की गई। इसके अलावा ठग ने एक कंपनी में 43.66 लाख रुपये का निवेश कराते हुए वादा किया था कि वो कंपनी में 1.25 फीसदी की हिस्सेदारी देंगे लेकिन उसका पैसा और कंपनी की हिस्सेदारी कुछ भी नहीं मिला।

अब कोर्ट ने इस मामले को रद्द कर दिया और कहा कि छह साल बाद भी पुलिस इस मामले में पूरी तरह से चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई। FIR में धोखाधड़ी के अपराध के आवश्यक तत्वों का अभाव है। कोर्ट ने कहा कि ये एक सिविल विवाद है, जिसे आपराधिक मामले की तरह पेश किया गया।

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