High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने किरायेदार के हक में सुनाया फैसला, बिजली लोड कम करने के लिए NOC की जरूरत नहीं
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने किरायेदार के हक में फैसला लेते हुए कहा है कि अब उन्हें बिजली का लोड कम करने के लिए मकान मालिक से NOC की जरूरत नहीं पड़ेगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने किरायेदार के हक में लिया फैसला।
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने किरायेदार के हक में अहम फैसला लिया है। कोर्ट का कहना है कि अगर कोई किरायेदार अपने बिजली मीटर का लोड कम करना चाहता तो उसे अपने मकान मालिक से अनापत्ति पत्र (NOC) लेने की जरुरत नहीं है। NOC के लिए किरायेदार खुद आवेदन करके यह काम कर सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक पूरा मामला अंसल टॉवर में एक महंगे फ्लैट जुड़ा हुआ है। यहां पर एक व्यक्ति काफी सालो से रह रहा था। बताया जा रहा है कि फ्लैट की मकान मालकिन की मृत्यु हो चुकी है।
अब उनकी वसीयत के अनुसार संपत्ति बड़े बेटे की पत्नी के नाम ट्र्रांसफर होनी थी, लेकिन भाइयों के बीच विवाद के चलते संपत्ति का ट्रांसफर नहीं हो पाया। ऐसे में डेढ़ दशक पुराना बिजली लोड वैसा रहा। किरायेदार ने बताया कि उसकी खपत काफी कम है,लेकिन मीटर का लोड ज्यादा होने की वजह से बिल ज्यादा आ रहा था। ऐसे में किरायेदार ने बिजली कंपनी से लोड घटाने का आवेदन किया।
कंपनी ने आवेदन किया अस्वीकार
BSES कंपनी ने किरायेदार का आवेदन रिजेक्ट कर दिया था। कंपनी का कहना था कि मकान मालिक की परमिशन के बिना बिजली का लोड कम करना ठीक नहीं है। जिसके बाद किरायेदार ने हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगाई। इसके बाद अदालत ने उसके पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि मकान मालिक की परमिशन जरूरी नहीं है।
कोर्ट ने आदेश में क्या कहा ?
कोर्ट के फैसले को लेकर जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच ने आदेश में बताया कि यह मामला बिजली के इस्तेमाल से कनेक्ट है।बेंच ने कहा कि बिजली का वास्तविक उपभोक्ता किरायेदार है, ऐसे में यह उसका अधिकार है कि वह अपनी जरूरत के हिसाब से बिजली लोड कम करवा सकता है।
बेंच ने यह भी बताया कि मकान मालिक का किराये से मिलने वाला लाभ प्रभावित नहीं होता, ऐसे में उसकी परमिशन लेना जरूरी नहीं है। बेंच का कहना है कि किरायेदार को अगर वास्तविक खर्चे से ज्यादा बिल चुकाना पड़े तो यह ठीक नहीं है। कई बार संपत्ति विवादों के कारण किरायेदारों को बेवजह बोझ उठाना पड़ता है।
हाईकोर्ट ने कंपनी को दिया निर्देश
हाईकोर्ट ने किरायेदार की याचिका को स्वीकार करते हुए बिजली कंपनी BSES को भी निर्देश दिया है। कपंनी से कहा गया है कि वह मामले से जुड़े किरायेदार का मीटर लोड 16 केवीए से घटाकर उसकी वास्तविक जरूरत के मुताबिक कर दे। अदालत का यह भी कहना है कि इस आदेश का असर संपत्ति विवादों पर नहीं पड़ेगा। यह फैसला केवल किरायेदार के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। अदालत ने बिजली कंपनी से कहा है कि आवेदन मिलने के बाद 4 सप्ताह के अंदर कार्रवाई करना जरूरी है।