Delhi Court Strike: 'एलजी वापस लें आदेश...', दिल्ली के 6 जिला कोर्ट में 2 दिन की हड़ताल, क्या है मामला?
Delhi Court Strike: दिल्ली के सभी जिला कोर्ट में दो दिन की हड़ताल का ऐलान किया गया है। दिल्ली के किसी भी जिला अदालत में दो दिन कोई भी वकील पेश नहीं होगा। जानें क्या है पूरा मामला...
दिल्ली की जिला अदालतों में 2 दिन की हड़ताल।
Delhi Court Strike: दिल्ली के सभी जिला अदालतों के वकीलों ने 22 और 23 अगस्त को हड़ताल करने का ऐलान किया है। यह हड़ताल दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश के खिलाफ की जा रही है, जिसमें कहा गया था कि अब दिल्ली पुलिस के अधिकारी थानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गवाही दे सकेंगे। इस आदेश को लेकर राजधानी के वकीलों में आक्रोश है। दिल्ली जिला बार एसोसिएशनों की कोऑर्डिनेशन कमेटी ने दो दिन के लिए सभी जिला अदालतों में काम से दूर रहने का फैसला किया है।
कमेटी ने कहा कि बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद अधिकारियों ने आदेश वापस नहीं लिया, जिसके कारण हड़ताल का फैसला लिया गया। कमेटी का कहना है कि इस गैरकानूनी अधिसूचना (नोटिफिकेशन) के खिलाफ कानून बिरादरी में गहरा आक्रोश है, जो मौलिक कानून और आम जनता के खिलाफ है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 12 अगस्त को एक आदेश को मंजूरी दी। इसमें कहा गया कि दिल्ली के पुलिस थानों से पुलिसकर्मी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में गवाही या बयान दे सकते हैं। इसके तहत एलजी ने दिल्ली के सभी 226 पुलिस थानों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग केंद्र बनाने की अधिसूचना को मंजूरी दी थी। एलजी के इस आदेश से वकील खुश नहीं थे। इसके कारण दिल्ली जिला बार एसोसिएशनों की कोऑर्डिनेशन कमेटी इस फैसले का विरोध किया। कमेटी ने 20 अगस्त को दिल्ली के उपराज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री को लेटर लिखकर आपत्ति जताई।
एलजी के आदेश से वकील नाखुश
कोऑर्डिनेशन कमेटी के मुताबिक, दिल्ली के उपराज्यपाल का नोटिफिकेशन केंद्रीय गृह सचिव के 15 जुलाई, 2024 के सर्कुलर के विपरीत है। इस सर्कुलर में केंद्रीय गृह सचिव ने पुलिस थानों में किसी भी तरह की गवाही से इनकार किया गया था। वकीलों का कहना है कि इस आदेश से मुकदमे की निष्पक्षता कमजोर होती है।
कोऑर्डिनेशन कमेटी के महासचिव वकील अनिल बसोया ने कहा यह एक अव्यावहारिक कदम है, क्योंकि पुलिस की गवाही हमेशा अदालत से ही ली जानी चाहिए। कमेटी ने सभी वकीलों का आह्वान किया है कि वे 22 और 23 अगस्त को प्रत्यक्ष या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत में पेश न हों।