सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान को कड़ी शर्तों के साथ मिली अंतरिम जमानत
अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर गिरफ्तार किया था। उन्हें जमानत मिली है, लेकिन...
अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान को मिली अंतरिम जमानत।
हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। प्रोफेसर पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। शीर्ष न्यायालय ने प्रोफेसर महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दी, लेकिन कड़े शब्दों में नसीहत भी दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की पोस्ट में जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया, वो दूसरे को अपमानित करने और असहज करने वाले हैं। कोर्ट ने कहा कि सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन महमूदाबाद के बयान कानून की नजर में डॉग व्हिसलिंग कहा जाता है। कोर्ट ने कहा कि वे विद्वान हैं और उनके पास शब्दों की कमी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया कि वह दोनों पोस्ट से संबंधित कोई भी ऑनलाइन लेख नहीं लिखेंगे और न ही कोई ऑनलाइन भाषण देंगे। इसके अलावा भारतीय धरती पर आतंकवादी हमलों या हमारे राष्ट्र दी गई जवाबी कार्रवाई के बारे में भी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपना पासपोर्ट जमा कराने का आदेश दिया।
एसआईटी गठित करने के दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए 24 घंटे के भीतर तीन आईपीएस अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने का आदेश दिया। आदेश के मुताबिक, एसआईटी में राज्य से बाहर की एक महिला आईपीएस भी शामिल रहेंगी। एसोसिएट प्रोफेसर महमूदाबाद को जांच में शामिल होने और पूरा सहयोग देने का आदेश दिया है।
प्रोफेसर ने अपनी गिरफ्तारी को दी थी चुनौती
एसोसिएट प्रोफेसर को ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी करने के आरोप में 18 मई को गिरफ्तार किया गया था। उन पर भारत की संप्रभूता और अखंडता को खतरे में डालने का भी आरोप था। 18 मई को गिरफ्तारी के बाद उन्हें सोनीपत कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 2 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। मंगलवार को उन्हें 27 मई तक हिरासत में भेज दिया।
सोमवार को प्रोफेसर अली खान ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर गिरफ्तारी को गलत बताया और जल्द सुनवाई की अपील की। इस पर शीर्ष न्यायालय ने मामले को जल्द सूचीबद्ध करने का भरोसा दिया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने केस को सुना और प्रोफेसर को अंतरिम जमानत तो दी, लेकिन जांच रोकने की अपील को खारिज कर दिया।
विपक्ष ने उठाया था सवाल
प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। सोशल मीडिया पर भी अली खान की रिहाई को लेकर हस्ताक्षर अभियान चल रहा था। उधर, दूसरा पक्ष यह भी था, जो कि उनकी टिप्पणी को बेहद आपत्तिजनक मानकर गिरफ्तारी को सही बता रहा है। इसी कड़ी में हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने भी प्रोफेसर अली खान का नाम लेकर कहा था कि जो भी व्यक्ति देश की बेटियों के नाम पर गद्दारी करेगा, उनके खिलाफ मेरा काम चलता रहेगा।