Kejriwal to Delhi Via Ludhiana: लुधियाना महज झांकी है, केजरीवाल का प्लान तो कुछ और ही दिख रहा, समझें पूरा गणित
Kejriwal to Delhi Via Ludhiana: लुधियाना वेस्ट विधानसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा की जीत के बाद अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली के रास्ते खुल गए हैं। समझिए पूरी गणित...
राज्यसभा को लेकर अरविंद केजरीवाल की तैयारी
Kejriwal to Delhi Via Ludhiana: पंजाब के लुधियाना वेस्ट विधानसभा उपचुनाव के परिणाम की घोषणा हो चुकी है। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने कुल 35179 वोटों के साथ जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार भरत भूषण आशू और बीजेपी के जीवन गुप्ता को करारी शिकस्त दी है।
अरोड़ा की इस जीत से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री बेहद खुश होंगे क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद से वो एक तरह से दिल्ली की राजनीति से दूर-दूर नजर आ रहे थे लेकिन लुधियाना वेस्ट विधानसभा के परिणाम ने उनके लिए संसद पहुंचने के दरवाजे खोल दिए हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि उनकी इस सियासत का गणित क्या हो सकता है?
लुधियाना वेस्ट विधानसभा उपचुनाव की घोषणा के साथ ही अलग-अलग राजनीतिक पंडित ये कयास लगा रहे थे कि अरविंद केजरीवाल पंजाब के लुधियाना के रास्ते एक बार फिर दिल्ली पहुंचने का रास्ता साफ कर रहे हैं। वहीं अगर अरविंद केजरीवाल राज्यसभा सांसद बन जाते हैं, तो उन्हें कई सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही उनके खिलाफ चल रहे मामलों में पुलिस को कार्रवाई करने के लिए अनुमति भी लेनी होगी।
क्या है केजरीवाल का कैलकुलेशन?
अब कयास लगाए जा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल राज्यसभा जाएंगे। ऐसा होता है तो वो उच्च सदन के माध्यम से देश के लोगों से रूबरू हो पाएंगे। साथ ही लोगों तक अपनी पहुंच बना पाएंगे। अगर वो राज्यसभा सांसद बनते हैं, तो वो राजनीति में एक बार फिर सक्रिय नजर आ पाएंगे।
कहा जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से ही आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल को जनप्रतिनिधि बनाने के लिए रणनीति तैयार कर चुकी थी। इसलिए अरविंद केजरीवाल लगातार पंजाब की राजनीति में सक्रिय नजर आ रहे थे। लुधियाना वेस्ट के चुनाव का पूरा गणित यह है कि पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 94 विधायक हैं और सरकार भी उन्हीं की है। संसद पर नजर डालें, तो राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के कुल 10 सांसद हैं। इनमें से 7 तो अकेले पंजाब से ही हैं।
इनमें संजीव अरोड़ा, अशोक मित्तल, संदीप पाठक, हरभजन सिंह, विक्रमजीत सिंह साहनी, बलबीर सिंह सीचेवाल और राघव चड्ढा शामिल हैं। विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद संजीव अरोड़ा को किसी एक सदन से इस्तीफा देना पड़ेगा। संभावना जताई जा रही है कि वे राज्यसभा सीट छोड़ देंगे और आम आदमी पार्टी के कोटे की एक सीट खाली हो जाएगी। इसी खाली सीट पर अरविंद केजरीवाल की नजर है। इसके बाद राज्यसभा के लिए उपचुनाव होंगे और अरविंद केजरीवाल उम्मीदवार बनेंगे। वे राज्यसभा पहुंचने के बाद अगले विधानसभा चुनाव में दिल्ली में धमाकेदार वापसी कर सकते हैं।
दरअसल, फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार के दौरान अरविंद केजरीवाल अपनी विधानसभा सीट नई दिल्ली तक को नहीं बचा पाए। इस हार के बाद अरविंद केजरीवाल दिल्ली छोड़ पंजाब आ गए और उपचुनावों की तैयारी में लग गए। हालांकि आज संजीव अरोड़ा की जीत के साथ ही अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि आम आदमी पार्टी सार्वजनिक तौर पर अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जाने की बात से इनकार कर चुकी है।
विपक्षी दलों का निशाना
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को करारी शिकस्त मिलने के बाद विरोधी दलों का भी कुछ ऐसा ही मानना है। विपक्षी दलों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल संजीव अरोड़ा की जगह राज्यसभा जाने की फिराक में हैं। बीजेपी और कांग्रेस का दावा है कि दिल्ली में गद्दी जाने के बाद अरविंद केजरीवाल पंजाब की कमान अपने हाथों में लेना चाहते हैं, जिसके कारण उन्होंने संजीव अरोड़ा को विधानसभा चुनाव लड़ाया। हाल ही में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा कि इन विधानसभा चुनाव में संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाने का उद्देश्य केवल उन्हें विधायक बनाने के लिए नहीं, बल्कि केजरीवाल की सत्ता की भूख मिटाने के लिए है।
हालांकि लुधियाना वेस्ट में जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राज्यसभा कौन जाएगा, इस बात का निर्णय पॉलिटिकल अफेयर्स की कमेटी करेगी। लेकिन अरविंद केजरीवाल राज्यसभा नहीं जाएंगे। हालांकि कई बार अरविंद केजरीवाल अपने बयानों से पलटते नजर आए हैं।
कैसे चुने जाते हैं राज्यसभा सांसद?
बता दें कि राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव की प्रक्रिया सामान्य चुनाव से काफी अलग होते हैं। राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। राज्यसभा का चुनाव सीधे जनता के जरिए नहीं होता, जबकि जनता के द्वारा चुने गए विधायक राज्यसभा सदस्यों को चुनते हैं। इस चुनाव में जिस पार्टी के पास ज्यादा विधायक होते हैं, उसकी ही पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार की जीत तय होती है।
राज्यसभा चुनाव में गुप्तदान या ईवीएम के जरिए वोटिंग नहीं होती। यहां चुनावों की प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है। यहां राज्यसभा चुनाव के उम्मीदवारों के आगे 1 से 4 तक नंबर लिखे होते हैं। इसके बाद विधायक प्राथमिकता के आधार पर उस पर चिन्ह लगाते हैं। इस चुनाव में उम्मीदवारों को कितने वोटों की जरूरत है, ये पहले से ही तय कर लिया जाता है।