छत्तीसगढ़ में महिलाओं ने की हलषष्ठी पूजा: संतान की दीर्घायु के लिए भगवान से मांगी गई कामना
भादो महीने के कृष्ण पक्ष की छठवीं तिथि को छत्तीसगढ़ में हलषष्ठी व्रत महिलाएं रखती हैं। इस दिन मांएं अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं।
महिलाओं ने संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर भगवान बलराम पूजा की
कुश अग्रवाल- बलौदा बाजार। भादो माह के कृष्ण पक्ष की छठवीं तिथि पर गुरुवार को जिलेभर में पारंपरिक हल छठ या कमरछठ पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति में इस पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की पूजा की जाती है।
हल छठ का व्रत केवल महिलाएं रखती हैं, जो संतान की लंबी आयु, कुशलता, परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना से किया जाता है। व्रत के दौरान महिलाएं केवल बिना हल से जोते गए खेत की उपज, फल-सब्जियां, तथा भैंस के दूध, दही और घी का ही उपयोग करती हैं। इन्हीं वस्तुओं को पवित्र मानते हुए भगवान बलराम को भोग अर्पित किया जाता है।
बाजार में उमड़ी खरीददारी के लिए भीड़
इसको लेकर सुबह से ही बलौदा बाजार जिले के विभिन्न बाजारों में व्रत की पूजन सामग्री खरीदने के लिए भीड़ देखी गई। महिलाएं बिना हल से उपजी सब्जियां, महुआ पत्तों के दोना-पत्र, तथा भैंस का दूध-दही लेकर बाजार में जुटीं। जगह-जगह पूजा सामग्री की दुकानें सजीं और श्रद्धालु महिलाएं खरीदारी करती नजर आईं।
संतान की लंबी आयु की कामना की गई
इसके बाद शाम को मंदिर एवं मोहल्ले में सभी महिलाएं एक जगह इकट्ठे होकर कमरछठ की पूजा की एवं संतान की लंबी उम्र की कामना की। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और कृषि से जुड़े जीवन मूल्यों को भी संजोए हुए है।