झाड़ियों और घास-फूस से अटी पड़ी हैं राजिम क्षेत्र की नहरें: सफाई के नाम पर लाखों का घोटाला, सिंचाई के लिए किसान परेशान

गरियाबंद जिले के राजिम क्षेत्र में नहरों का बुरा हाल है। पानी के बहाव में अवरोधों के चलते किसान परेशान हैं।

Updated On 2025-09-01 12:44:00 IST

नहर की सफाई नहीं होने के कारण उगे हुए घास-फूस 

श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। राजिम क्षेत्र में किसानों को इस बार सिंचाई के लिए भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सिंचाई विभाग द्वारा नहरों की साफ-सफाई और मरम्मत न कराए जाने से नहरें पूरी तरह से घास और झाड़ियों से अटी पड़ी हैं, जिससे पानी का बहाव बेहद धीमा हो गया है। इसके साथ ही, नहरों के किनारे बने रास्ते (पार) भी खराब हालत में हैं, जिससे किसानों को आवागमन में बहुत दिक्कत हो रही है। हमारे संवाददाता द्वारा क्षेत्र की नहरों की पड़ताल से जो तस्वीरें सामने आईं वे इस बात की साफ-साफ गवाही दे रीह हैं कि, कहीं कोई मरम्मत विभाग ने नहीं कराया, बल्कि मरम्मत के नाम पर मिलने वाले पैसों का बंदरबांट हो गया।

उल्लेखनीय है कि, हर साल सिंचाई विभाग को नहरों के रखरखाव और मरम्मत के लिए लाखों रुपये आवंटित किए जाते हैं, लेकिन इनका उपयोग काम में न होकर आपस में ही बांट लिया जाता है। कई जगहों पर छोटे नालियों में लाइनिंग का काम भी अधूरा है, जिससे किसानों को पानी पहुंचाने में भारी असुविधा हो रही है। 


किसानों में गहरा आक्रोश
राजिम, पीपरछेड़ी, बेलटुकरी, भैंसातरा, कौदकेरा, देवरी, जेंजरा, परतेवा, धुमा, श्यामनगर, पितईबंद, बकली, रांवड़, परसदा जोशी, पोखरा, हथखोज, पसौद, बासीन और बोरसी जैसे गांवों के किसान इस दुर्दशा से बेहद नाराज हैं। जेंजरा के किसान राजेंद्र साहू, सोमनाथ साहू और भुवन साहू ने बताया कि सिंचाई विभाग कई सालों से नहरों की सफाई पर ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे टेल एरिया तक पानी नहीं पहुंच पाता है। किसानों का सवाल है कि साफ-सफाई के लिए स्वीकृत होने वाली राशि आखिर जाती कहाँ है? इस मामले पर प्रतिक्रिया लेने के लिए राजिम सब डिवीजन के एसडीओ को कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। उनके घर से बताया गया कि वह बाजार गए हुए हैं। जिले के अन्य अधिकारी भी अक्सर फोन उठाने या जानकारी देने से बचते हैं, जिससे आम जनता को सही जानकारी नहीं मिल पाती।

राजिम सब डिविजन का हाल-बेहाल
गरियाबंद जिले का राजिम क्षेत्र धान की खेती के लिए जाना जाता है। यहां की सिंचाई व्यवस्था सिकासार जलाशय और कुकदा पैरी पिकअप वियर से जुड़ी है। बाई और दाई कैनाल से लाखों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है। हालांकि, दाई कैनाल से निकलने वाली छोटी नहरों की हालत बेहद खराब है। 12-15 साल पहले करोड़ों रुपये की लागत से किया गया स्लीपर का काम भी कई जगहों पर अधूरा छोड़ दिया गया है। फिंगेश्वर सब डिवीजन में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था, जब एक किसान ने सूचना के अधिकार के तहत खुलासा किया कि लाखों रुपये की राशि कागजों में काम दिखाकर हड़प ली गई है। इसके बाद राजिम क्षेत्र के किसान भी सचेत हो गए हैं।


इस साल मरम्मत के लिए कोई पसा नहीं आया : एसडीओ
इस संबंध में राजिम सब डिवीजन के एसडीओ को शाम 5 बजकर 55 मिनट पर फोन लगाया गया। उसकी बच्ची ने फोन रिसीव किया। बताया कि, साहब बाजार गए हुए हैं। पुन: दूसरी बार 6 बजकर 40 मिनट पर फोन लगाया गया तो फिर वही जवाब मिला कि, बाजार से साहब अभी आए नहीं है। सोमवार की सुबह उनकी ओर से संवददाता को फोन आया। यह पूछने पर इस साल नहरों की साफ-साफाई के लिए कितना पैसा आया? उनहोंने साफ कहा कि, इस साल तो कोई पैसा आया ही नहीं।

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