बच्चों से लिया जा रहा था काम: ऑटो सेंटर में काम कर रहे दो बालकों को जिला प्रशासन ने किया रेस्क्यू

रायपुर के अमलीडीह क्षेत्र में एक ऑटो सेंटर में एक 13 साल का बालक और एक 15 साल के किशोर को बाल श्रम करते पाए जाने पर रेस्क्यू किया गया। जिसके पश्चात बच्चों को बालक कल्याण समिति रायपुर के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

Updated On 2025-06-16 21:26:00 IST

फाइल फोटो 

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अमलीडीह क्षेत्र में एक ऑटो सेंटर में एक 13 साल का बालक और एक 15 साल के किशोर को बाल श्रम करते पाए जाने पर रेस्क्यू किया गया। जिसके पश्चात बच्चों को बालक कल्याण समिति रायपुर के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशन पर जिला प्रशासन द्वारा 30 जून तक विशेष बाल एवं किशोर श्रम रोकथाम एवं पुनर्वास अभियान का संचालन किया जा रहा है। इसी परिपेक्ष में सोमवार को श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन सहित पुलिस विभाग की संयुक्त टीम द्वारा रायपुर के विभिन्न क्षेत्रों में सड़क जैसी स्थिति में रहने वाले बच्चों सहित बालक और किशोर श्रमिकों की पहचान एवं रेस्क्यू अभियान चलाया गया।

जोखिम भरे काम कर रहे थे बच्चे
एसोसिएशन फ़ॉर वोलंटरी एक्शन के राज्य समन्वयक विपिन ठाकुर ने बताया कि बच्चे ऑटो सेंटर में मैकेनिक के रूप में काम कर रहे थे, जो कि जोखिम भरे कार्य की श्रेणी में आता है जिस कारण से यह कार्य किशोर न्याय ( बालकों का देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 भारतीय न्याय संहिता एवं बालक एवं कुमार श्रम अधिनियम के विभिन्न धाराओं के तहत थाना न्यू राजेंद्र नगर में प्राथमिक की दर्ज किए जाने की प्रक्रिया जारी है।

अब तक 20 से ज्यादा बच्चों को किया गया रेस्क्यू
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जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग सुश्री शैल ठाकुर ने बताया कि रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर एक माह के विषेेश अभियान हेतु सभी जिलों को निर्देशित किया गया है। इसी कार्यक्रम के अनुपालन में रायपुर जिले में यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जबकि रायपुर जिला प्रशासन द्वारा लगातार बालश्रम के विरुद्ध कार्यवाई की जा रही है। पिछले एक माह में विभिन्न स्थानों व प्रतिष्ठानों से लगभग 20 से अधिक बच्चों को रेस्क्यू किया गया है।

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