पीएचई का ईई सस्पेंड: काम अधूरा रहते ठेकेदार को सुरक्षा निधि 3 करोड़ रुपए पहले लौटा दिए
पीएचई की एक परियोजना के लिए काम कर रहे ठेकेदार का काम अधूरा होने के बावजूद उसकी सुरक्षा निधि की राशि करीब तीन करोड़ रुपए कार्यपालन अभियंता (ईई) ने लौटा दिए।
File Photo
रायपुर। जल संसाधन विभाग की एक परियोजना के लिए काम कर रहे ठेकेदार का काम अधूरा होने के बावजूद उसकी सुरक्षा निधि की राशि करीब तीन करोड़ रुपए कार्यपालन अभियंता (ईई) ने लौटा दिए। इस मामले की जांच के बाद विभाग ने पाया कि समय पूर्व राशि जारी किए जाने से विभागीय हितों को क्षति पहुंची है तथा शासकीय निधि की सुरक्षा में गंभीर लापरवाही बरती गई है, जो कि वित्तीय अनियमितता एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। इस मामले में कार्यपालन अभियंता को निलंबित कर दिया गया है।
ये है मामला
दरअसल, जल संसाधन विभाग की सुसडेगा व्यपवर्तन योजना से संबंधित है। इस योजना के तहत काम करने के लिए एक ठेकेदार ने सुरक्षा निधि के तौर पर दो करोड़ तिरानवे लाख नब्बे हजार विभाग के पास जमा कराए थे। प्रावधान ये है कि कार्य पूरा होने के बाद पूर्णता प्रमाण पत्र जारी होने के बाद यह राशि ठेकेदार को लौटाई जानी थी, लेकिन जल संसाधन संभाग जशपुर में पदस्थ विजय जानिक, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता द्वारा पहले ही राशि विमुक्त कर दी गई।
काम पूरा करने नहीं हो रहा प्रयास, पर राशि वापस
सुरक्षा निधि की राशि लौटाए जाने के मामले की जांच के बाद ये साफ हुआ कि विजय जामनिक, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन संभाग, जशपुर द्वारा समय पूर्व सुरक्षा निधि राशि वापसी की गई एवं ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है। वर्तमान में इस अनुबंध के अंतर्गत कार्य की प्रगति मात्र 60 प्रतिशत है तथा ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्णता की ओर कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा है। इसलिए कार्य अपूर्ण रहने अथवा ठेकेदार द्वारा कार्य अधूरा छोड़ने की स्थिति में उक्त राशि विभाग द्वारा राजसात नहीं की जा सकेगी। समय पूर्व राशि जारी किए जाने से विभागीय हितों को क्षति पहुंची है तथा शासकीय निधि की सुरक्षा में गंभीर लापरवाही बरती गई है जो कि वित्तीय अनियमितता एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।
विभाग ने माना स्वेच्छाचारिता, कदाचरण
इस मामले को लेकर कार्यपालन अभियंता के निलंबन आदेश में विभाग ने साफ किया है कि यह छत्तीसगढ़ कार्य विभाग नियमावली एवं सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 में निहित प्रावधान अन्तर्गत स्वेच्छाचारिता कदाचरण है। कार्यपालन अभियंता को प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये जाने के फलस्वरूप राज्य शासन द्वारा विजय जामनिक, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता. जल संसाधन संभाग, जशपुर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर, विभागीय जांच संस्थित की गई है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय कार्यालय मुख्य अभियंता, महानदी गोदावरी कछार, जल संसाधन विभाग रायपुर निर्धारित किया गया है।