पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही: डेढ़ माह बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंची किताबें, पुरानी के भरोसे हो रही पढ़ाई
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के शासकीय स्कूलों में अब तक सभी कक्षाओं के लिए पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंच पाई हैं।
शासकीय स्कूलों में अब तक किताबों के अभाव में बच्चे
आकाश पवार-पेंड्रा। छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए डेढ़ माह से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के शासकीय स्कूलों में अब तक सभी कक्षाओं के लिए पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंच पाई हैं। इसका असर अब छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है, जिससे छात्र और शिक्षक दोनों चिंतित हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, शाला प्रवेश उत्सव के साथ ही नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए डेढ़ महीना बीत चुका है, लेकिन जिले के स्कूलों में अब तक सभी कक्षाओं की निःशुल्क किताबें नहीं पहुंची हैं। बताया जा रहा है कि, अगले डेढ़ महीने में त्रैमासिक परीक्षाएं होने वाली हैं, ऐसे में किताबों के अभाव में बच्चे सिलेबस समय पर कैसे पूरा करेंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
पुरानी किताबों से पढ़ाई करने को मजबुर हुए छात्र
दरअसल स्थानीय स्कूलों की स्थिति चिंताजनक है। कई छात्र पुरानी किताबों से पढ़ाई करने को मजबूर हैं। वहीं कुछ अभिभावक बाजार से गाइड खरीदकर बच्चों की पढ़ाई करा रहे हैं। प्राइमरी से लेकर मिडिल स्कूलों तक यह समस्या आम है। कक्षा 6वीं के छात्रों को केवल गणित की किताब मिली है। अन्य विषयों की किताबें अब तक उपलब्ध नहीं हुई हैं। कक्षा 8वीं में भी सिर्फ तीन किताबें ही मिल पाई हैं। नए पाठ्यक्रम के कारण पुरानी किताबों से पढ़ाई संभव नहीं है। इससे शिक्षकों और छात्रों दोनों को परेशानी हो रही है।
किताबों की स्कैनिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी की आई शिकायत
इस बार किताबों की छपाई पुराने यू-डायस डेटा और पिछले वर्ष के बचे स्टॉक के आधार पर की गई। नए एडमिशन और छात्र संख्या में बदलाव को ध्यान में नहीं रखा गया, जिसके चलते कई स्कूलों में पर्याप्त किताबें नहीं पहुंचीं। किताबों की स्कैनिंग और वितरण प्रक्रिया में भी गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई हैं।
अभिभावकों और शिक्षकों ने तत्काल किताबों की व्यवस्था करने की मांग की
स्कूल प्रबंधन ने जिला कार्यालय को किताबों की मांग को लेकर पत्र लिखा था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। शिक्षकों का कहना है कि किताबों की कमी के कारण अध्यापन कार्य में बाधा आ रही है। प्रशासन को इसकी जानकारी होने के बावजूद व्यवस्था नहीं की जा सकी है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय अभिभावकों और शिक्षकों ने प्रशासन से तत्काल किताबों की व्यवस्था करने की मांग की है, ताकि बच्चों की पढ़ाई और आगामी परीक्षाओं की तैयारी प्रभावित न हो।