शहर बढ़ा, जंगल घटा : डोंगरगढ़ के सुदर्शन पहाड़ पर तेंदुए की मौजूदगी ने खोली विकास की सच्चाई

डोंगरगढ़ के पास सुदर्शन पहाड़ पर तेंदुआ दिखना महज हादसा नहीं, विकास और जंगल के टकराव की चेतावनी है। जानिए इस घटना के पीछे छिपा बड़ा संदेश।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-05-04 13:27:00 IST
सुदर्शन पहाड़ पर तेंदुआ

राजा शर्मा - डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की धर्मनगरी डोंगरगढ़ से तीन किलोमीटर दूर अछोली गांव में शनिवार दोपहर एक तेंदुआ खुलेआम नजर आया। यह कोई सामान्य इलाका नहीं, बल्कि शासकीय अस्पताल, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा व कृषि विभाग जैसे सरकारी कार्यालयों के पास स्थित प्रसिद्ध सुदर्शन पहाड़ है। लोगों ने जब तेंदुए को पहाड़ी की ढलानों पर घूमते देखा, तो अफरा-तफरी मच गई।

शुरुआत में इसे अफवाह समझा गया, लेकिन जब फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, स्थिति साफ हो गई। एक तेंदुआ शहर की चौहद्दी में मौजूद है। वन विभाग द्वारा पिंजरे लगाए गए, टीमें तैनात हुईं, लेकिन असली सवाल इससे कई बड़ा है कि, तेंदुआ शहर में घुसा या फिर शहर जंगल में घुसा है। 

Leopard, Sudarshan Mountain

शहर ही जंगल पर चढ़ आया है

यह घटना सिर्फ एक वन्यजीव के आने की नहीं है, बल्कि यह उस टकराव की निशानी है जो इंसानी बस्तियों और प्रकृति के बीच लगातार गहराता जा रहा है। जिस सुदर्शन पहाड़ पर तेंदुआ दिखा, वह कभी घना जंगल हुआ करता था। वन्यजीवों के लिए आदर्श ठिकाना। पर बीते कुछ वर्षों में इस क्षेत्र ने तेज विकास का स्वाद चखा है। अब पहाड़ी की तलहटी में सरकारी कॉलोनियां, कार्यालय, सड़कें और स्ट्रीट लाइटें हैं। आने वाले समय में शायद यह इलाका और भी तेजी से बसा लिया जाए। ऐसे में तेंदुआ कहीं भटका नहीं, बल्कि अपने ही घटते जंगल के अंतिम टुकड़े में दिखा है। 

फारेस्ट डिपार्टमेंट टीम

जानिए वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स का कहना-

सचिव प्रकृति शोध एवं संरक्षण सोसाइटी रवि पांडेय के अनुसार, यह तेंदुआ इस क्षेत्र में नया नहीं है। वर्षों से इसकी मौजूदगी दर्ज की गई है। फर्क सिर्फ इतना है कि, पहले इंसानों की पहुंच यहां तक नहीं थी। अब जब जंगल सिमट गया है, तो मुठभेड़ें अपरिहार्य हो गई हैं। फील्ड ऑर्निथोलॉजिस्ट प्रतीक ठाकुर और स्थानीय निवासी बताते हैं कि, वन्यजीवों को अब खतरा नहीं समझना चाहिए, बल्कि हमें अपनी विकास नीति को कटघरे में खड़ा करना चाहिए जो कंक्रीट के नाम पर जंगल निगल रही है। 

रेस्क्यू जारी, लेकिन जवाब अधूरा

तेंदुए को पकड़ने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। वन विभाग की टीमों ने पिंजरे लगाए हैं और इलाके की निगरानी तेज कर दी है। लेकिन अब सवाल यह है कि यदि तेंदुआ पकड़ा भी जाता है, तो उसे ले जाया कहां जाएगा? क्या हमारे पास पर्याप्त सुरक्षित वन क्षेत्र बचे भी हैं? वन विभाग की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्ट बयान अब तक नहीं आया है। सुदर्शन पहाड़ पर तेंदुए की मौजूदगी हमें यह सोचने को मजबूर करती है कि, अब तो ऐसा प्रतीत हो रहा मानो शहरों का विस्तार अनियंत्रित हो चला है और हम विकास की अंधी दौड़ में सह-अस्तित्व की अवधारणा को पूरी तरह भुला बैठे हैं।

Similar News