मकर संक्रांति : अमरकंटक में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, तिल और दीप दान कर मनाया पर्व

मकर संक्रांति के अवसर पर सुबह से ही अमरकंटक में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। भक्तों ने ब्रम्हमुहूर्त से लेकर सूर्योदय तक उद्गम कुंड में आस्था की डुबकी लगाई।

Updated On 2024-01-15 13:21:00 IST
अमरकंटक

आकाश पवार-पेंड्रा। मकर संक्रांति के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा नदी की उद्गम स्थली अमरकंटक पहुंचे। यह स्थान धर्म, पयर्टन, आस्था और पुण्य की संगम स्थली है। यहां की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। 

सोमवार को आस्था की नगरी अमरकंटक में छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे हैं। उन्होंने कड़ाके की ठंड में ब्रम्हमुहूर्त से लेकर सूर्योदय तक उद्गम कुंड में आस्था की डुबकी लगाई। फिर भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य अर्पित कर मकर संक्रांति का पर्व मनाया। इसके बाद तिल के लड्डू और दीप दान किया गया। हर साल आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा का कड़ा इंतजाम किया है। 

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नदियों की जननी है अमरकंटक
अमरकंटक नदियों की जननी है। यहां से लगभग पांच नदियों का उद्गम होता है। इनमें नर्मदा, सोन और  जोहिला नदी प्रमुख है। यहां पर कोटितार्थ यानि करोड़ों तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थान है। यहीं से नर्मदा नदी का उद्गम माना जाता है। नर्मदा कुंड के साथ-साथ परिसर में विष्णु, लक्ष्मी, गणेश, सूर्य देवता समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिर हैं। इस स्थान को सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत कहना गलत नहीं होगा। 

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 पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है यह स्थान 
कोटितार्थ से कुछ दूर पर कल्चुरि राजाओं के द्वारा बनाए गए मंदिर स्थित हैं। इनमें पातालेश्वर महादेव मंदिर, शिव, विष्णु, जोहिला, कर्ण और पंचमठ शामिल हैं। यह स्थान ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। अब यह पुरातत्व विभाग के संरक्षण में रखा गया है। 

अमरकंटक मानव जाति के लिए अनुपम उपहार
अमरकंटक प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिकता का संगम है। जहां पर विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों के साथ-साथ घने जंगल, पहाड़ियां, नदियां और झरने हैं। यह प्रकृति का मानव जाति के लिए अनुपम उपहार है।  

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