मिनीमाता स्मृति दिवस पर सम्मान समारोह: उमा घृतलहरे समेत 251 प्रतिभाओं का सम्मान, सद्भावना पत्रिका का विमोचन
रायपुर के वृंदावन हाल में सोमवार को स्व. मिनीमाता की 53 वीं पुण्यतिथि पर स्मृति दिवस और प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। 251 प्रतिभाओं का सम्मान किया।
खुशबू घृतलहरे और उमा घृतलहरे का सम्मान करते हुए अतिथिगण।
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के वृंदावन हाल में सोमवार को स्व. मिनीमाता की 53 वीं पुण्यतिथि पर स्मृति दिवस और प्रतिभा सम्मान का आयोजन किया। यह आयोजन गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी और राजश्री सद्भावना समिति के द्वारा किया गया। इस दौरान उमा घृतलहरे समेत सतनामी समाज के 251 प्रतिभाओं का सम्मान किया गया।
इस मौके प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में समाज के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों सहित शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, वीरता, विधि, पत्रकारिता के क्षेत्र में उमा घृतलहरे, प्रीति रात्रे , श्रुति, निर्मला, कला, साहित्य और समाजोत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली प्रदेश के अलग-अलग जिलों की महिलाओं, 10वीं-12वीं बोर्ड के प्रतिभावान बच्चों, नीट चयनित व खेल जगत से जुड़ी हुई हस्तियों सहित कुल 251 प्रतिभाओं को साल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, साड़ी, कापी, पेन सेट और बुके भेंटकर सम्मानित किया गया।इसके साथ ही राजश्री सद्भावना समिति द्वारा प्रकाशित स्मारिका 2025 सद्भावना संदेश पत्रिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। इस दौरान एक नन्ही सी बिटिया जागृति कुर्रे द्वारा बनाकर लाई गई मिनीमाता का स्केच छायाचित्र का भी विमोचन किया गया।
251 प्रतिभाओं को किया सम्मानित
आयोजन समिति प्रवक्ता चेतन चंदेल ने बताया कि, समाज के लोग अपनी गुरुमाता को नमन करने प्रातः पंडरी पहुंचे जहां माता जी की आदमकद प्रतिमा पर श्रद्धा के फूल चढ़ाकर उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प दोहराया। इस दौरान मिनीमाता अमर रहे की लगातार जयघोष होती रही है। इसके बाद मुख्य आयोजन स्थल वृंदावन हॉल में मंगल भजनों की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। जहां माता जी के समाज और प्रदेश हित में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को यादकर समाज की 251 प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया।
आज संविधान खतरे में है, जिसे बचाना जरूरी : डॉ. शिवकुमार डहरिया
मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कहा कि, शोषण, भेदभाव और अत्याचार से मुक्त समतामूलक समाज के निर्माण में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने समाज की उन्नति और विकास के लिए निरंतर कार्य करती हुई लोकसभा में अस्पृश्यता निवारण विधेयक पारित कराने में अपना अमूल्य योगदान दिया। आज संविधान खतरे में है जिसे बचाना बहुत जरूरी है।
स्व. मिनीमाता ने महिलाओं को एक नई ऊंचाई दी हैं
बिलाईगढ़ की विधायक कविता प्राण लहरे ने बताया कि, स्व. मिनीमाता ने महिलाओं को एक नई ऊंचाई दी उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। वह सामाजिक सुधारों की प्रतीक थी उनके कार्य समस्त नारी जातियों के लिए आज भी प्रासंगिक है।
ये लोग रहे मौजूद
इस कार्यक्रम को राजश्री सद्भावना समिति की अध्यक्ष शकुन डहरिया , मुंबई के दिनेश साध, उ.प्र कोटवाधाम बाबा कमलेश दास, ओड़िशा सतनामी समाज के अध्यक्ष ज्योति लाल बंजारे और असम सतनामी समाज के पूर्व अध्यक्ष मदन सतनामी ने भी संबोधित किया।अध्यक्ष के. पी. खण्डे, महासचिव डॉ. जे. आर. सोनी, सुंदरलाल जोगी, चंपादेवी गेंदले, के. एन. भारद्वाज, डी. एस. पात्रे, एच.एल. रात्रे, के. एल. रवि, चेतन चंदेल, गिरिजा पाटले, डॉ. कल्याण रवि, डॉ. गणेशी कुर्रे, आशा पात्रे, अनिता गुरूपंच, गोंदा बारले, दुर्गा गेंदले, सरस्वती राघव, सुनंदा बघेल, डॉ. भुवनेश्वरी भारद्वाज, संगीता बालकिशोर, ममता कुर्रे, संगीता पाटले, राजेशवरी चांदने, मोनू मिरी बंजारे, भुनेश्वरी डहरिया, ललिता कुर्रे सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।