हादसों को न्योता दे रहे GPM के कई स्कूल: टपकते पानी और उधड़ी छतों वाली कक्षाओं में पढ़ रहे विद्यार्थी

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में हो रही बारिश ने स्कूलों की पोल खोल दी है। कई स्कूलों के वीडियो सामने आ रहे हैं, जहां स्कूल की छत से पानी टपक रहा है।

Updated On 2025-08-02 17:16:00 IST

क्लास रूम में टपकते पानी में पढ़ने को मजबूर बच्चे

आकाश पवार -पेड्रा। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में हो रही बारिश ने स्कूलों की पोल खोल दी है। कई स्कूलों के वीडियो सामने आ रहे हैं, जहां स्कूल की छत से पानी टपक रहा है और बच्चे टपकती छत के नीचे पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं। स्कूल भवन की जर्जर हालत बच्चों और शिक्षकों के लिए जानलेवा भी हो सकती है।

जिले में गौरेला विकासखंड के दूरस्थ गांवो में स्थित विद्यालयों की स्थिति जर्जर है। शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। बारिश के मौसम में कहीं जर्जर भवन की छतों से प्लास्टर गिर रहा है तो कहीं छतों से पानी टपक रहा है। इन सबके बीच बच्चे मजबूर पढ़ाई कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल बच्चों की शिक्षा में बाधक है, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन गई है। जिले में हो रही मूसलाधार बारिश हो रही है। गौरेला विकासखंड के कई स्कूलों की दीवारों में दरारें हैं।

कभी भी हो सकता हादसा
दरअसल, पहला मामला जिले के कोडगार हायर सेकंडरी स्कूल का है जहाँ स्कूल की दीवारों में दरारें है और छत टूटी हुई है। स्कूल के लैब की बात करें जहाँ छात्र प्रेक्टिकल करते हैं उसके छत का प्लास्टर टूटकर जमीन में गिर गया है। गनीमत रही कि, इस दौरान कोई भी छात्र वहां मौजूद नहीं था नहीं तो गंभीर हादसा हो सकता था। शिक्षकों ने कहा कि, आए दिन छत का प्लास्टर ऐसे ही गिरते रहता है।

प्रशासन नहीं दे रहा है ध्यान
वहीं दूसरी ओर गौरेला विकासखंड के छपराटोला प्राथमिक विद्यालय का तो कमोबेश वहां भी स्थिति ऐसे ही देखने को मिली है। छत से बारिश का पानी कमरे के अंदर गिर रहा है। फर्श में पानी भरा हुआ है इसी भरे हुए पानी और टपकते हुए छत के बीच स्कूल के छात्र पढ़ाई करने को मजबूर हैं। कुछ दूर आगे स्कूल प्राथमिक विद्यालय पूटा का भी यही हाल हैं जहां छत से पानी टपक रहा है। फर्श में पानी भरा हुआ है इसी में स्कूल के बच्चे पढ़ाई को मजबूर हैं। छत से टपकते पानी को रोकने के लिए इन स्कूलों में कहीं बाल्टी तो कहीं थाली का सहारा लिया जा रहा है। कई बार इन स्कूलों के शिक्षकों ने प्रशासन को अवगत कराया गया है पर अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी है।

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