सनातन पुनर्जागरण: 51 दिव्य शिव कथाओं का आयोजन, स्वामी नंदाचार्य ने कहा- सनातन मार्ग ही भारत को अखंड और सशक्त राष्ट्र बना सकता है

बिलासपुर में सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए स्वामी नंदाचार्य 51 दिव्य शिव कथाओं के आयोजन का संकल्प लेकर जनचेतना जगाने में जुटे हैं।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-05-15 17:05:00 IST

स्वामी नंदाचार्य


बसंत राघव-बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर क्षेत्र में सनातन धर्म और संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए समर्पित स्वामी नंदाचार्य जी ने कहा है कि, भारत को अखंड और सशक्त राष्ट्र केवल सनातन मार्ग ही बना सकता है। स्वामी जी ने उत्तर बिलासपुर के खमतराई स्थित रामा ग्रीन सिटी के पास आयोजित दिव्य संगीतमय शिव कथा के अवसर पर मीडिया से संवाद करते हुए यह बात कही।

स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि, सनातन का अर्थ केवल एक धर्म या परंपरा नहीं, बल्कि शाश्वत, चिरस्थायी और वैज्ञानिक मूल्यों का समुच्चय है। दुर्भाग्यवश, आज सनातन की व्याख्या संकुचित रूप में की जा रही है, जिससे हमारी प्राचीन विरासत और धरोहर खतरे में है। कार्यक्रम के प्रारंभ में सनातन जागृति अभियान के महामंत्री आचार्य डॉ. देवधर महंत ने अभियान की रूपरेखा प्रस्तुत की और स्वामी नंदाचार्य जी का औपचारिक परिचय करवाया।


51 दिव्य शिव कथाओं का आयोजन

स्वामी नंदाचार्य ने बताया कि 12 मई से प्रारंभ हुई यह संगीतमय शिव कथा 19 मई तक प्रतिदिन संध्या को हो रही है। यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सनातन मूल्यों की ओर पुन: जागृति का आह्वान है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में कुल 51 दिव्य शिव कथाओं के आयोजन का संकल्प ले चुके हैं, जो बुद्ध पूर्णिमा के दिन लिया गया उनका एक आत्मिक निर्णय है। यह श्रृंखला इस अभियान की प्रथम कड़ी है।

वैज्ञानिक आधार और सांस्कृतिक महत्व
स्वामी जी ने कहा कि व्रत-उपवास, यज्ञ, कथा, शिखा, तिलक, ब्रह्ममुहूर्त जागरण, शाकाहार आदि सभी सनातन परंपराओं के पीछे गहन वैज्ञानिक आधार हैं। मंत्रोच्चार से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा और संस्कारों से निर्मित वातावरण व्यक्ति और समाज को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से सशक्त बनाता है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि आज के समय में अधिकांश सनातनी न मंदिर जा रहे हैं, न उपवास रखते हैं, और न ही धर्मशास्त्रों का श्रवण कर रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है और इसमें परिवर्तन लाना आवश्यक है।

कथा का महत्व
भागवत कथा , राम कथा , शिव कथा , गो कथा आदि से विशिष्ट प्रेरणा और सीख मिलती है , प्रणोदन मिलता है। संस्कारक्षम वातावरण और परिवेश निर्मित होता है। जिसकी विशद- व्यापक सुखद प्रभान्विति होती है। स्वामी जी ने कहा कि योग , संगीत और कला भी भारत की अमूल्य धरोहर है। लेकिन अज्ञानियों या अल्पज्ञों द्वारा सनातन उपादानों की भ्रामक व्याख्या की जा रही है। सनातन संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से अनुप्राणित है। बृहदारण्यक उपनिषद् में सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:खभाग्भवेत् की विराट कामना की गई है।

शिव – सनातन के प्रतीक
स्वामी नंदाचार्य ने शिव को सनातन का प्रतीक बताते हुए कहा कि शिव का अर्थ ही कल्याण होता है। शिवतत्त्व के अभाव में मानव शव समान हो जाता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सनातन के पुनर्जागरण से ही भारत अखंड और सशक्त बन सकता है।

Tags:    

Similar News