वक्फ बोर्ड का मामला गरमाया: पीड़ित ही पहुंचे दस्तावेज मांगने, बोर्ड ने मांगा समय
पुरानी बस्ती के तीन लोगों को वक्फ बोर्ड के नोटिस से राजनीति गरमाया है। पीड़ित दस्तावेज मांगने वक्फ बोर्ड के दफ्तर पहुंचे।
वरिष्ठ भाजपा नेता संदीप शर्मा - वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.सलीम राज
रायपुर। पुरानी बस्ती के तीन लोगों को वक्फ बोर्ड के नोटिस से गरमाई राजनीति के बाद शुक्रवार को कान्हा प्रोविजन स्टोर के संचालक अरविंद अग्रवाल अपने वकील के साथ वक्फ बोर्ड के दफ्तर पहुंचे और अपने खिलाफ शिकायत करने की प्रमाणित प्रति के साथ वक्फ की जमीन पर कब्जा करने के दस्तावेज भी मांगे। इसके लिए वक्फ बोर्ड ने समय मांगा है। इस मामले में वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज का कहना है कि कोई भी प्रमाणित दस्तावेज देने में समय लगता है, इसको तहसीलदार से प्रमाणित कराना पड़ता है।
दस्तावेज प्रमाणित कराने के बाद आवेदकों को दस्तावेज दे दिए जाएंगे। वक्फ बोर्ड ने पुरानी बस्ती में रहने वाले तीन लोगों को वक्फ की जमीन पर कब्जा करने का नोटिस दिया है। इसके लिए उनको जवाब देने के लिए समय दिया गया है। इस मामले में भाजपा नेता संदीप शर्मा की भी एंट्री हो गई है। उन्होंने इस मामले को उठाते हुए इस मामले में वक्फ बोर्ड को ही आड़े हाथों लिया है। उनका कहना है कि हिंदुओं को ठीक दीपावली त्योहार के समय ऐसा नोटिस देना ठीक नहीं है। 22 अक्टूबर को ठीक दीपावली के दिन नोटिस देकर दो दिनों में जवाब मांगा जाता है। इस मामले में वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डा. सलीम राज का कहना है कि नोटिस 17 अक्टूबर को जारी करके सात दिनों के अंदर जवाब मांगा गया है।
एक दुकानदार पहुंचा वक्फ बोर्ड
इस मामले में एक दुकानदार कान्हा प्रोविजन स्टोर के संचालक अरविंद अग्रवाल अपने वकील के साथ शुक्रवार को वक्फ बोर्ड पहुंचे और वहां पर अधिकारियों से उनके खिलाफ वक्फ की जमीन पर कब्जा करने की शिकायत की प्रमाणित प्रति की मांग की, साथ ही वक्फ बोर्ड से वक्फ की जमीन पर कब्जा करने के प्रमाणित दस्तावेज भी मांगे। इसके लिए वक्फ बोर्ड ने दस दिनों का समय मांगा है।
माफी मांगे वक्फ बोर्ड
भाजपा नेता संदीप शर्मा का कहना है कि, वक्फ बोर्ड का आचरण सही नहीं है, बिना किसी जांच और ठोस प्रमाण के पुरानी बस्ती में रहने वालों को परेशान किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड ने महज शिकायत के आधार पर ही नोटिस जारी कर दिया है। क्या वक्फ बोर्ड के पास कोई दस्तावेज हैं, जिससे यह साबित हो सके कि जमीन वक्फ बोर्ड की है। अगर उसके पास ऐसे कोई दस्तावेज नहीं हैं, तो वक्फ बोर्ड को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।