शहर में दो दिन होगा तुलसी विवाह: आचार्यों ने कहा-दोनों दिन शुभ, गुरु परंपरा अनुसार करें तिथि निर्धारण
इस बार देवउठनी एकादशी में भी तिथियों के फेर में लोग उलझ गए हैं। शहर के कुछ मंदिरों में शनिवार को तुलसी विवाह कर एकादशी का व्रत पूजन किया जाएगा।
तुलसी विवाह
रायपुर। अन्य पर्व की तरह इस बार देवउठनी एकादशी में भी तिथियों के फेर में लोग उलझ गए हैं। शहर के कुछ मंदिरों में शनिवार को तुलसी विवाह कर एकादशी का व्रत पूजन किया जाएगा तो कुछ मंदिरों में रविवार को एकादशी व्रत-पूजन होगा। ना केवल मंदिर बल्कि घरों में भी आज और कल दो दिनों तक तुलसी पूजन की तैयारी है।
पंचांग की गणना के अनुसार, एकादशी तिथि का आरंभ आज सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर होगा और 2 तारीख को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त होगी। एक वर्ग के मत के अनुसार, 2 तारीख को सुबह ही एकादशी तिथि समाप्त हो जाएगी। तुलसी विवाह गोधुलि बेला में ही होता है। ऐसे में शनिवार को ही तुलसी विवाह करना अधिक श्रेष्ठ होगा क्योंकि इस दिन ही गोधुलि बेला में एकादशी तिथि व्याप्त रहेगी। दूसरे मत के अनुसार, सूर्योदय के समय व्याप्त तिथि ही पूरे दिन मान्य होती है। शनिवार को उदया तिथि के समय एकादशी नहीं है, जबकि रविवार को सूर्योदय के समय एकादशी तिथि व्याप्त रहेगी। ऐसे में रविवार को ही तुलसी पूजन उचित है। कई घरों में रविवार को तुलसी को स्पर्श ना करने अथवा पत्तियां ना तोड़ने की भी परंपरा है। इस कारण भी बड़ी संख्या में लोग आज ही तुलसी विवाह करेंगे।
ध्रुव, वृद्धि व रवि योग
देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन चार महीने के शयन (चातुर्मास) के बाद भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। इस दिन से ही सभी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण आदि शुरू हो जाते हैं। देव उठनी एकादशी व्रत पर ध्रुव योग, वृद्धि योग, रवि योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। आज जगत का भार महादेव पुनः श्रीहरि को सौंपेंगे।
जानिए, इन्होंने क्या कहा
राम मंदिर : मंदिर के प्रधान पुजारी हनुमंत लाल ने कहा, दोनों ही तिथि उचित है। लोग अपनी गुरू परंपरा के आधार पर तुलसी पूजन का निर्णय लें। सामान्यतः स्मार्त सम्प्रदाय को मानने वाले शनिवार को ही तुलसी पूजन करेंगे। वैष्णव सम्प्रदाय के अनुनायी परसों व्रत रखेंगे। वृंदावन सहित कई स्थानों में रविवार को ही एकादशी व्रत रखा जा रहा है। रायपुर के राम मंदिर में भी एकादशी व्रत रविवार को ही होगा। परंपरानुसार श्रीराम को विशेष फलाहारी भोग लगाए जाएंगे।
दूधाधारी मठ : प्रधान पंडित रामशिरोमणि दास ने बताया, मठ में तुलसी विवाह रविवार को किया जाएगा। एकादशी का व्रत भी रविवार को ही होगा।
महामाया मंदिर : पुजारी मनोज शुक्ला ने बताया यहां तुलसी विवाह व पूजन रविवार को होगा। सूर्योदय के समय एकादशी तिथि 2 नवंबर को ही व्याप्त रहेगी। एकादशी व्रत के लिए एकादश व द्वादश तिथि का योग आवश्यक होता है। ऐसे में 2 नवंबर को ही पूजन व्रत फलदायी है।