हिंसा की डर में कलम और किताब से टूटा नाता: शिक्षादूत की हत्या के बाद नक्सल दहशत में स्कूल बंद, पढ़ाई और सपने अधर पर
बीजापुर में नक्सलियों के द्वारा शिक्षक की हत्या के बाद से स्कूल में सन्नाटा पसरा हुआ है। जिसके कारण अब दो माह से 52 बच्चों की पढ़ाई और सपने अधर पर है।
हाथ में वर्णमाला और पहाड़े की चार्ट लिए हुए नेन्द्रा स्कूल के बच्चे
गणेश मिश्रा- बीजापुर। छत्तीसगढ़ का बीजापुर जिला दशकों से माओवाद का दंश झेल रहा है। सरकारें यहां के आबोहवा को बेहतर बनाने में जुटी हुई ताकि नन्हे बच्चे अपना भविष्य गढ़ सके। इसी कड़ी में यहां के नेन्द्रा में 20 साल बाद एक स्कूल खोला गया है ताकि यहां के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। स्कूल तो खुल गया है लेकिन नक्सलियों की दहशत के कारण सन्नाटा पसरा हुआ है।
दरअसल, दहशतगर्दों का भय इस सन्नाटे की असली वजह है। 29 अगस्त को शिक्षादूत कल्लू ताती की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी जिसके कारण अब दहशत में स्कूल बंद है। दो माह से 52 बच्चों की पढ़ाई और सपने अधर पर है। वहीं अब तक शिक्षा विभाग ने भी दो महीने से किसी शिक्षक की पोस्टिंग नहीं की है। जिसके चलते अब बच्चों का कलम और किताब से नाता टूट रहा है।
शिक्षक की उम्मीद में बच्चे
बांस की बनी एक छोटी झोपड़ी में इस स्कूल की शुरुआत की गई थी। जहां पर अब सन्नाटा तो पसरा है लेकिन यहां पर टंगे हिंदी वर्णमाला, पहाड़ा और अन्य चार्ट बोल रहे हैं। बच्चे इसे कभी खुद से पढ़ने की कोशिश करते हैं तो कभी खेलने लगते हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि, उनके सपने अब ठहर चुके हैं जिन्हें रफ़्तार देने के लिए शिक्षक की जरुरत है।
भय में पढ़ाने के लिए कोई तैयार नहीं - डीईओ
डीईओ ने बताया कि, घटना के बाद से लगातार पहल किया जा रहा है लेकिन घटना से लोगों में दहशत है। इलाके में ज्यादातर कम पढ़े- लिखे युवा हैं इसलिए पोस्टिंग में देरी हो रही है। आगे बताया कि, शिक्षक की हत्या के बाद कोई भी युवा पढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। एक युवा से बात हुई है जो यहां पढ़ाने के लिए तैयार हैं वे जल्द आयेंगे।